- कवि गोष्ठी में छाए राज लक्ष्मी संविद गुरुकुलम सैनिक स्कूल नालागढ़ के कैडेट्स
आपकी खबर, नालागढ़। 29 अप्रैल
बेहतर राष्ट्र निर्माण में शैक्षणिक संस्थान अग्रणी भूमिका निभाते हैं। देश में चल रहे शैक्षणिक संस्थानों में अध्यनरत छात्र- छात्राओं के सर्वांगीण विकास में अध्यापकों की भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। छात्रों की कलात्मक रुचि को देखते हुए अध्यापक छात्रों की कला को तराशने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं ताकि उनके छात्र जीवन में अपनी निर्धारित मंजिल तक पहुंच सकें। सांस्कृतिक गतिविधियों में छात्र छात्राएं बढ़ चढ़कर भाग ले सकें इसके लिए समय समय पर कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। प्रतियोगिताओं के अलावा गोष्ठियों के माध्यम से भी छात्रों का मनोबल बढ़ाने के लिए शैक्षणिक संस्थान आगे आ रहे हैं।
इसी कड़ी में रविवार को नालागढ़ साहित्य कला मंच द्वारा गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल में कवि गोष्ठी का आयोजन किया। इस कवि गोष्ठी में सैनिक स्कूल बरियां के छः सैनिक छात्रों ने खूब वाहवाही लूटी । सैनिक छात्रों आराध्या वशिष्ठ, नमन कुमार सिंह, पुष्पेश रंजन प्रसाद, संकेत कुमार ओझा,
यश वर्धन सिंह सहित केशव कुमार ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। कवि गोष्ठी में अन्य छात्रों की कविताओं का भी श्रोताओं ने भरपूर लुत्फ उठाया। कवि गोष्ठी में बेहतरीन प्रस्तुतियों के चलते सभी सैनिक छात्रों को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित करते हुए प्रोत्साहित किया गया। राज लक्ष्मी संविद गुरुकुलम सैनिक स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ संजय गुप्ता भी इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कवि गोष्ठी के दौरान उन्होंने बताया कि राज लक्ष्मी संविद गुरुकुलम सैनिक स्कूल, नालागढ़ साध्वी रितंभरा जी (दीदी मां) द्वारा स्थापित किया गया है। छात्रों के सर्वांगीण विकास और राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव के चलते ही दीदी मां के सराहनीय प्रयासों के चलते संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों की प्रतिभा को निखारने के लिए प्रयास तेज किए जा रहे हैं। संस्थान में सांस्कृतिक गतिविधियों के अलावा खेल कूद में रुचि ले रहे छात्रों को भी बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार किया जाता हैं। मौजूदा समय में विद्यालय में संपूर्ण भारत से तकरीबन 300 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे है। विद्यालय को जहां उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए जाना जाता है वहीं खेलों के साथ साथ छात्रों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी विशेष तौर पर प्रदान की जा रही है। जिसके चलते विद्यालय को अनुशासन और शिष्टाचार के रूप से जाना जाता है।