- आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय कर्मचारियों को बताई अंगदान की बारीकियां
आपकी खबर, शिमला। 30 जुलाई
शिमला के कुसुम्पटी में मंगलवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश की ओर से रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के क्षेत्रीय शाखा कार्यालय में विशेष अंगदान जन जागरूकता अभियान चलाया गया। यह कार्यक्रम क्षेत्रीय निदेशक अनुपम किशोर की अध्यक्षता में किया गया।
सोटो की आईसी मीडिया कंसलटेंट रामेश्वरी व ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश ने बताया कि देश में प्रतिदिन 6000 रोगी अंग ना मिलने के कारण अपनी जिंदगी गवां रहे हैं। जीवन शैली खराब होने के कारण अधिकतर लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। जिससे शरीर के अंग खराब हो रहे हैं। ऐसे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट उनके पास एक विकल्प के रूप में रह जाता है। लोगों में अंगदान के प्रति जागरूकता ना होने के कारण योग्य होते हुए भी लोग अंगदान करने से कतराते हैं।
उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड व्यक्ति एक समय में आठ लोगों की जिंदगी बचा सकता है। मरीज के ब्रेन डेड होने के बाद यह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। अस्पताल में मरीज को निगरानी में रखा जाता है और विशेष कमेटी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करती है ।मृतक के अंग लेने के लिए स्वजनों की सहमति जरूरी होती है। उन्होंने कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों से अपील की कि सोटो हिमाचल की इस मुहीम को आगे बढ़ाने में सहयोग करें , अंगदान करने के लिए लोग अपनी इच्छा जाहिर करें और रिश्तेदारों को भी इस पुनीत कार्य में जोड़ें। कार्यक्रम में विशेष रुप से उपस्थित रहे डीजीएम आशीष अनंत ने सोटो की टीम का धन्यवाद दिया।
- क्या है ब्रेन स्टेम डेथ
ब्रेन जीवन को बनाए रखने के लिए मस्तिष्क का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ब्रेन डेड व्यक्ति सांस लेने के लिए वेंटिलेटर पर निर्भर होता है। ब्रेन का कार्य न करना मृत्यु का लक्षण है।
मस्तिष्क में क्षति पहुंचाने का कारण ऐसी स्थिति होती है। इस प्रकार के रोगी को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है। कोमा रोगियों व ब्रेन डेड रोगियों के बीच में अंतर होता है। कोमा में मरीज मृत नहीं होता जबकि ब्रेन डेड व्यक्ति की स्थिति इससे अलग रहती है। ब्रेन डेड मरीज़ का हृदय कुछ घंटे या कुछ दिन के लिए वेंटीलेटर की वजह से कार्य कर सकता है ।इस अवधि के दौरान रिश्तेदारों की सहमति से अंग लिए जा सकते हैं।