Thursday, March 28, 2024

आईजीएमसी में नेत्रदान पखवाड़े का आयोजन

  • आईजीएमसी में मनाया नेत्रदान पखवाड़ा
  • नेत्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉक्टरों व स्टाफ को किया सम्मानित
  • कॉलेज प्रधानाचार्य डॉक्टर सीता ठाकुर विशेष रूप से रही उपस्थित
  • नेत्र रोग विभागाध्यक्ष ने समझाई नेत्रदान की बारीकियां

आपकी खबर, शिमला।

शिमला के आईजीएमसी में आई बैंक आईजीएमसी शिमला की ओर से बुधवार को नेत्रदान पखवाड़ा मनाया गया। नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ रामलाल शर्मा ने नेत्रदान के महत्व के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जीवित रहते हुए नेत्रदान करने की शपथ ले सकता है। नेत्रदान मृत्यु के बाद संभव होता है। मृत्यु के करीब 6 घंटे के भीतर नेत्रदान किया जा सकता है। नेत्रदान करने से जरूरतमंद व्यक्ति के जीवन में उजाला होता है। 1 से लेकर 100 वर्ष तक का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति नेत्रदान करने में सक्षम होता है।

संक्रमण फैलाने वाली बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति का नेत्रदान संभव नहीं हो पाता क्योंकि यह नेत्र अगर दूसरे व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिये जाएं तो संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। अस्पताल के अलावा नेत्रदान घर पर भी किया जा सकता है। आई डोनेशन सेंटर के 50 किलोमीटर के दायरे में अस्पताल से प्रशिक्षित स्टाफ की टीम जाती है और मृत व्यक्ति के शरीर से नेत्र निकालकर व संरक्षित करके उन्हें दूसरे व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है। आईजीएमसी शिमला में मौजूदा समय तक 383 नेत्रदान किए गए हैं , उन्होंने बताया कि अस्पताल में आई बैंक की स्थापना साल 2010 में हुई थी । उन्होंने बताया कि नेत्रदान पखवाड़े के तहत सार्वजनिक स्थानों पर नेत्रदान संबंधी जानकारी को दर्शाने वाले पोस्टर लगाए गए । वही स्कूलों में कॉलेजों में नेत्रदान संबंधी जागरूकता कार्यक्रम करवाए गए। दूरदर्शन शिमला के माध्यम से लोगों में नेत्रदान के परिपेक्ष में फैली भ्रांतियों को दूर करने व लोगों में नेत्रदान को लेकर जानकारी उपलब्ध करवाई गई। कार्यक्रम के दौरान नेत्रदान में सहयोग करने वाले डॉक्टरों व अन्य स्टाफ को भी सम्मानित किया गया। स्किन रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर अजीत नेगी, डॉक्टर सुनील शर्मा, सोटो के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश कुमार, रेनू बाला, लता रानी, मोना कुमारी, वीना चौहान, पंकज कुमारी सहित सेवा दासी को बेहतरीन सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में आईजीएमसी की प्रधानाचार्य डॉ सीता ठाकुर ने नेत्रदान को आगे बढ़ाने की मुहिम के लिए नेत्र रोग विभाग की सराहना की। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि नेत्र दान के इस अभियान में बढ़ चढ़ कर भाग लें । इस दौरान ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर यशपाल रांटा, डॉ शशि सहित अन्य स्टाफ मौजूद रहा।

  • आजीईएमसी की वेबसाइट पर शपथ पत्र उपलब्ध

नेत्रदान के लिए आईजीएमसी शिमला के कमरा नंबर 212 में संपर्क करें। नेत्रदान संबंधी जानकारी हासिल करने के लिए अस्पताल की ओर से 24 घंटे संचालित रहने वाला हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। यह नंबर 94 593 – 19192 है। नेत्र प्रत्यारोपण करने पर किसी प्रकार की फीस नहीं ली जाती। नेत्र दान करने के लिए शपथ पत्र भरा जा सकता है। यह शपथ पत्र आईजीएमसी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। शपथ पत्र भरने के बाद इसे आईजीएमसी में जमा करें और अपना डोनर कार्ड हासिल करें।

  • नेत्रदान अंगदान जरूरतमंद के लिए वरदान- डॉ पुनीत महाजन

स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश के नोडल अधिकारी व सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ पुनीत महाजन ने अपने वक्तव्य में बताया कि सोटो हिमाचल आईजीएमसी शिमला के आई डोनेशन सेंटर के साथ मिलकर नेत्रदान वह अंगदान को बढ़ावा देने में कार्यरत है। उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड व्यक्ति अपने विभिन्न अंगों का दान करके 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। वही नेत्रदान करके मरने के बाद भी दूसरे के जीवन में उजाला फैला सकता है। नेत्रदान अंगदान जरूरतमंद के लिए वरदान साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश भर में करीब 850 लोग अंगदान करने की शपथ ले चुके हैं।

Get in Touch

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

spot_img

Latest Posts