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]]>प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बागवानी क्षेत्र का ₹4476 करोड़ का योगदान
आपकी खबर, शिमला। 17 नवंबर
बागवानी क्षेत्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मुख्य अंग है। ग्रामीण आर्थिकी को सुदृढ़ करने में कृषि एवं बागवानी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रदेश की विविध जलवायु कृषि विशेष रूप से फल उत्पादन की दृष्टि से बेहद अनुकूल है। यह क्षेत्र व्यापक स्तर पर रोजगार और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाता है और वर्तमान राज्य सरकार की नीतियों, सुधारों और दूरदर्शी पहलों के फलस्वरूप इस क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है।
प्रदेश सरकार के नवाचार प्रयासों से राज्य में बागवानी क्षेत्र का विस्तार भी हुआ है। वर्तमान में राज्य में लगभग 2.36 लाख हेक्टेयर भूमि पर बागवानी गतिविधियां की जाती है जिसमें 6.38 लाख मीट्रिक टन फलों का उत्पादन होता है। बागवानी क्षेत्र प्रदेश के राजस्व में लगभग 4,476 करोड़ रुपये का वार्षिक योगदान दे रहा है इससे लगभग 10 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।
विगत दो वर्षों में प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के फलस्वरूप राज्य में फल उत्पादन में वृद्धि हुई है। प्रदेश में 25,829 मीट्रिक टन मशरूम का उत्पादन, 4,081 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन दर्ज किया गया है और 659 हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती की गई है। इससे ग्रामीण लोगों की आर्थिकी को संबल मिल रहा है और राजस्व के नए स्रोत सृजत हो रहे हैं।
राज्य सरकार बागवानी क्षेत्र के विस्तार को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान कर रही है। इसके अन्तर्गत प्रदेश में 8,085 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को फलों की खेती के अंतर्गत लाया गया है। प्रदेश में नर्सरियों में फलों की गुणवत्तापूर्ण पौध तैयार की जा रही है। नर्सरियों में 25.12 लाख फलों के पौधे तैयार किए और 27.64 लाख से अधिक पौधे बागवानों को वितरित किए गए हैं।
बागवानों को उच्च गुणवत्तायुक्त पौधे प्रदान करने के लिए 226 नर्सरियां और 160 बड वुड बैंक हिमाचल प्रदेश फल नर्सरी पंजीकरण और विनियमन अधिनियम, 2015 के तहत पंजीकृत किए गए हैं। प्रदेश में पौध संरक्षण दवाओं पर 13.64 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और फलदायी पौधों के संरक्षण के लिए 288.55 मीट्रिक टन दवायें फल उत्पादकों को उपलब्ध करवाई गई। प्रदेश के 1,195 हेक्टेयर बागवानी भूमि अब जैविक कीट नियंत्रण से लाभान्वित हो रही है और लगभग 542 बागवानों को इन विधियों में प्रशिक्षित किया गया है।
सरकार की इस पहल से बागवानों को स्वस्थ पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है। प्रदेश में किसानों के उत्पादों को बेहतर दाम और बाजार उपलब्ध करवाने की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश में मंडी मध्यस्थता योजना के अन्तर्गत 819 खरीद केंद्र स्थापित किए गए, जिससे बागवानों से सेब, आम और नींबू प्रजाति के फलों की बिक्री की सुविधा मिल रही है। इस योजना से 10,753.79 लाख रुपये के 89,615.05 मीट्रिक टन सेब, 1.55 लाख रुपये के 12.90 मीट्रिक टन आम और 5.85 लाख रुपये के 50.61 मीट्रिक टन नींबू प्रजाति के फलों की खरीद की गई।
बागवानों को बिचौलियों से बचाने के लिए प्रदेश में मंडी मध्यस्थता योजना को सफलतापूर्वक लागू किया जा रहा है जिससे राज्य के बागवानों को उनकी उपज का उचित और लाभदायक मूल्य मिल रहा है। प्रदेश के बागवानों को बागवानी की नई पद्धतियों की जानकारी देने के लिए उन्हें निरन्तर प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है। दो वर्षों के दौरान 1,20,076 से अधिक बागवानों को विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से नवीनतम बागवानी तकनीकों से प्रशिक्षित किया गया है।
हिमाचल में विभिन्न प्रजातियों के फलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए क्रियान्वित की जा रही प्रदेश सरकार की योजनाओं के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाकर प्रदेश के लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ हो रही है।
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]]>The post प्राकृतिक खेती विधि से उगाए अनाज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने से चहके मंडी के किसान first appeared on Aap Ki Khabar.
]]>आपकी खबर, मंडी। 8 नवंबर
प्राकृतिक खेती में स्वरोजगार को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। प्राकृतिक खेती से उगाई मक्की पर समर्थन मूल्य घोषित होने का लाभ प्रदेश के साथ-साथ मंडी जिला के किसानों को भी मिला है। इससे उनकी आय में लगभग डेढ़ गुणा तक बढ़ोतरी सुनिश्चित हुई है।
वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा 680 करोड़ रुपए की राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के अंतर्गत राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना इस वर्ष के बजट में घोषित की गई है। प्रथम चरण में इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत से 10 किसानों को जहर मुक्त खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस तरह करीब 36 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
इस योजना से जुड़े किसान गेहूं व मक्की में रसायनिक खाद के बजाय गोबर का इस्तेमाल करेंगे। इन परिवारों का अधिकतम 20 क्विंटल तक अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद किया जाएगा।
बेरोजगार युवाओं को प्राकृतिक खेती के माध्यम से स्वरोजगार व कृषि से जोड़ने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की 30 रुपए प्रति किलो तथा गेहूं 40 रुपए प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का प्रावधान किया है। प्रदेश सरकार द्वारा घोषित यह न्यूनतम समर्थन मूल्य पूरे देश में सर्वाधिक है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के इस दूरदर्शी निर्णय से आत्मनिर्भर हिमाचल की संकल्पना को और गति मिलेगी।
मक्की फसल के लिए प्रदेश सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद आरम्भ भी कर दी गई है। मंडी के समीप बीर गांव के बलवीर सिंह लगभग छह सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस बार उनकी अच्छी पैदावार हुई है।
प्रदेश सरकार द्वारा खरीद केंद्र खोलने से उन्हें मक्की की बिक्री में आसानी हुई और दाम भी अच्छे मिले। उन्होंने लगभग तीन क्विंटल मक्की 30 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बेची। मक्की के लिए समर्थन मूल्य घोषित करने के लिए बलवीर सिंह ने प्रदेश सरकार और विशेषतौर पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया है।
गोहर क्षेत्र के कटवांडी गांव की भूपेंद्रा बताती हैं कि प्राकृतिक खेती से उनकी फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है। पिछली बार उन्हें मक्की के कम दाम मिले, जबकि इस बार प्रदेश सरकार ने 30 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मक्की की खरीद की है। इससे उन्हें फसल के अच्छे दाम प्राप्त हुए हैं।
कटवांडी गांव की ही नेहा कुमारी वर्ष 2018 से प्राकृतिक खेती कर रही हैं। उन्होंने बताया कि इसमें कृषि विभाग का सहयोग उन्हें निरंतर मिलता रहा है।
इस बार प्राकृतिक खेती विधि से उगाई गई मक्की के लिए खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं। उन्होंने पहले चरण में दो क्विंटल मक्की इन केंद्रों के माध्यम से बेची है। इतनी ही फसल बिक्री के लिए और उपलब्ध है। मक्की के 30 रुपए प्रति किलोग्राम दाम मिलने से किसान परिवार उत्साहित हैं और प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया है।
आत्मा परियोजना मंडी के परियोजना निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि मंडी जिला में प्राकृतिक खेती विधि से उगाई गई मक्की की खरीद के लिए स्थापित चार में से तीन खरीद केंद्रों सुंदरनगर, मंडी व चैलचौक के माध्यम से पहले चरण में लगभग 142 क्विंटल मक्की की खरीद की जा चुकी है।
दूसरे चरण में 18 नवंबर से आरम्भ होगा, जिसमें इन तीनों केंद्रों सहित चुराग में भी खरीद केंद्र के माध्यम से मक्की प्रापण का कार्य शुरू किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश राज्य खाद्य आपूर्ति निगम के सहयोग से यह खरीद की जा रही है। दूसरे चरण में 500 क्विंटल से अधिक मक्की खरीद का लक्ष्य रखा गया है।
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]]>कृषि विभाग की ओर से आयोजित कौशल विकास प्रशिक्षण शिविर का समापन
आपकी खबर, घणाहट्टी। 26 अक्तूबर
ग्राम पंचायत नेहरा में कृषि विभाग के माध्यम से 6 दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव चंद्रशेखर शर्मा बतौर मुख्यातिथि तथा विशेष अतिथि उपनिदेशक कृषि विभाग डॉ. महेंद्र सिंह भवानी मौजूद रहे।
इस 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में प्राकृतिक खेती खुशहाल योजना की महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। इस अवसर पर मुख्यातिथि ने सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सभी प्रतिभागियों की सराहना की व प्राकृतिक खेती के महत्ता को बताया गया।
शिविर में करीब 50 किसानों ने योजना का लाभ उठाया। कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंचायत समिति अध्यक्ष कर्मचंद, कृषक सलाहकार समिति अध्यक्ष बेसरदास हरनोट, नेहरा पंचायत प्रधान मीरा शर्मा, ब्लॉक तकनीकी प्रबंधक भीषमा नेगी, लाल चंद वर्मा, वार्ड सदस्य हरिराम शर्मा, सीमा, हेमराज, किरण गांधी व हीरा देवी सहित क्षेत्र के किसान मौजूद रहे।
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आपकी खबर, करसोग। 20 अक्तूबर
किसानों की जी तोड़ मेहनत और राज्य सरकार से मिलने वाले प्रोत्साहन से राज्य में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को निरंतर बढ़ावा मिल रहा है। दिन-प्रतिदिन प्रदेश के लोग प्राकृतिक खेती के महत्व को समझ रहे हैं और इसे व्यापक स्तर पर अपना भी रहे हैं। इसके सार्थक परिणाम भी अब मिलने लगे हैं। प्राकृतिक खेती से जुड़े किसान मंडी जिला में अब इस विधि से मक्की व अन्य फसलें उगा रहे हैं।
प्राकृतिक विधि से किसानों द्वारा उगाई जाने वाली मक्की की खरीद सीधे राज्य सरकार द्वारा की जानी है। इसके लिए वर्तमान प्रदेश सरकार ने मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपये घोषित किया है। किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में राज्य सरकार का यह एक क्रान्तिकारी कदम है। इससे किसान कृषि के माध्यम से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगे।
प्राकृतिक खेती के तहत उगाई गई मक्की की खरीद के लिए मंडी जिला में कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के तहत लगभग 431 किसानों को चिन्हित किया गया है। इन किसानों से लगभग 65 मीट्रिक टन मक्की खरीदी जानी है। जिला के विभिन्न खंडों के तहत करसोग में 49 किसानों से 5 मिट्रिक टन, चुराग में 50 किसानों से 4.78 मीट्रिक टन, सराज ब्लॉक में 38 किसानों 5.23 मीट्रिक टन, गोहर में 64 किसानों से 8.15 मीट्रिक टन, सदर में 11 किसानों से 1.65 मीट्रिक टन, बालीचौकी में 29 किसानों से 6.45 मीट्रिक टन, द्रंग में 13 किसानों से 0.915 मीट्रिक टन, चौंतड़ा में 6 किसानों से 0.7 मीट्रिक टन, सुंदरनगर में 46 किसानों से 12 मीट्रिक टन, बल्ह में 8 किसानों से 5.3 मीट्रिक टन, धनोटू में 46 किसानों से 7.05 मीट्रिक टन, गोपालपुर में 39 किसानों से 3.18 मीट्रिक टन, धर्मपुर में 15 किसानों से 1.585 मीट्रिक टन और निहरी में 17 किसानों से 3.45 मीट्रिक टन मक्की की खरीद की जानी है। इसके लिए जिला में चार स्थानों करसोग के चुराग, चैलचौक, सुंदरनगर और मंडी में प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की खरीद केंद्र बनाए गए हैं।
प्राकृतिक विधि से मक्की की खेती करने वाले किसान राज्य सरकार द्वारा मक्की का समर्थन मूल्य घोषित किए जाने से गदगद है।
करसोग उपमंडल के नरोली गांव के आशा राम, कोलग गांव के गीता राम और गरयाला गांव के पंकज मल्होत्रा, बल्ह उपमंडल के पैड़ी गांव की रक्षा देवी, गोहर उपमंडल के गांव बासा की विमला देवी, मीना देवी और विनोद कुमार तथा कलश गांव के नरपत राम का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा मक्की की सरकारी स्तर पर खरीद करना और 30 रुपये प्रति किलो समर्थन मूल्य घोषित करना सराहनीय निर्णय है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाली मक्की की फसल के किसानों को उचित दाम सुनिश्चित होंगे और उनकी आय में वृद्धि होगी। किसान कृषि के माध्यम से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगे।
आशा राम निवासी गांव नरोली करसोग, जिला मंडी ने बताया कि लगभग एक बीघा जमीन पर प्राकृतिक विधि से मक्की की फसल उगाई है, जिसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि एक बीघा जमीन पर अढ़ाई से तीन क्विंटल उपज मक्की की प्राप्त हुई है जो पूरी तरह से रसायनमुक्त है।
कोलग गांव के गीता राम और गरयाला गांव के पंकज मल्होत्रा ने बताया कि लगभग 5 बीघा जमीन पर प्राकृतिक विधि से मक्की उगाई गई है। फसल की बीजाई से लेकर निदाई-गुड़ाई के दौरान घर में प्राकृतिक विधि से तैयार किया गया जीवामृत और घनजीवमृत का प्रयोग किया गया है। अच्छी उपज के लिए यह घर पर ही गाय के गोबर और गौमूत्र, गुड, लस्सी आदि से तैयार किया जाता है।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि मंडी जिला में प्राकृतिक विधि से उगाई गई मक्की की खरीद के लिए 4 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों से लगभग 65 मिट्रिक टन मक्की की खरीद की जानी है। जिसके लिए विभिन्न ब्लॉकों में संबंधित विभाग को आवश्यक तैयारियों के निर्देश दे दिए गए हैं।
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]]>The post जिला शिमला में सेब परिवहन दरें अधिसूचित, किलो के आधार पर होगी सेब ढुलाई first appeared on Aap Ki Khabar.
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आपकी खबर, करसोग। 6 जून
जिला मंडी की महिलाएं अब मोटे अनाज की खेती कर कई प्रकार की बीमारियों से बचाने का कार्य कर रही हैं। यहां मिलेट प्रमोशन के तहत हिम आर आर की मदद से समय समय पर शिविर का आयोजन कर रहे हैं। इसके तहत ग्रामीण महिलाओं को मोटे अनाज की जानकारी दी जा रही है। इतना ही नहीं महिलाओं को मुफ्त बीज भी दिए जा रहे हैं।
प्रमोटर कला चौहान ने बताया कि करसोग सहित पूरे जिला में विभिन्न स्थानों पर समय समय पर जागरूकता अभियान चलाया गया है। इसके अंतर्गत कोदा, काउंनी, बाजरा जैसे बीजों की जानकारी दी जाती है। साथ ही इसके लाभ के बारे में भी बताया जा रहा है।
कला चौहान ने बताया कि ग्राम पंचायत खड़कान में भोग गांव की आस्था महिला मंडल की करीब 25 महिलाओं को बीज बांटे गए। उन्होंने कहा कि बीजों को उगाने के साथ साथ गाय के गोबर से बनने वाली खाद की जानकारी भी दी गई।
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]]>आपकी खबर, शिमला। 7 मार्च
हिमाचल किसान मोर्चा के अध्यक्ष संजीव देष्टा ने सरकार से मांग की है कि वह यूनिवर्सल कार्टन पर सारी स्थिति स्पष्ट करें, क्योंकि अभी तक इस मामले पर बागवानों में उलझन है। उन्होंने कहा कि बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी कह रहे हैं कि यूनिवर्सल कार्टन को इस सीजन में लागू करने के लिए एक्ट में जरूरी संशोधन किया जाएगा। उन्होंने इस पर सवाल उठाया कि सरकार ने अभी तक इस मामले पर कुछ नहीं किया है। क्योंकि लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और इसके लिए आदर्श आचार संहिता लगने वाली है। ऐसे में सरकार कब संशोधन करेगी, यह भी स्पष्ट नहीं है। इसलिए उनकी मांग है कि सेब सीजन की तैयारी के लिए सरकार ने क्या कदम उठाएं हैं, उसका खुलासा करे।
संजीव देष्टा ने कहा कि कांग्रेस सरकार की हर बात उनकी गारंटी की तरह झूठी व भ्रामक है। आज प्रदेश भर में आपसी फूट व अंतरकलह की वजह से जो सरकार की फजीहत प्रदेश भर में हो रही है उसको समेटने के लिए आज कांग्रेस बिना सोचे विचारे घोषणाएं करती जा रही है।उन्होंने कहा लोकसभा चुनाव सामने है और आदर्श आचार सहिंता किसी भी समय लागू हो सकती है। चुनावों को संम्पन्न होते होते जून माह तक का समय निकल जाएगा और उतने प्रदेश भर में सेब का सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे में सरकार का क्या रोडमैप है इसकी स्थिति सरकार स्पष्ट करे।
उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा जिस तरह पिछले वर्ष सरकार ने तय घोषणा की थी कि बागवान अपने सेबों का मूल्य स्वयं तय करेंगे उसका क्या हुआ? जो अव्यवस्था पिछले वर्ष मंडियों में देखने को मिली उससे बेहतर व्यपारियों ने प्रदेश से बाहर का रुख करना ही उचित समझा। उन्होंने कहा कि सरकार यदि सही मायनो में यूनिवर्सल कार्टन को लागु करना चाहते हैं तो इस सम्बन्ध में सारी स्थिति समय रहते स्पष्ट करनी चाहिए ताकि प्रदेश का बागवान पिछले वर्ष की तरह सरकार की बातों से गुमराह न हो व अपना नुकसान न कर बैठे। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने समय रहते इस सम्बन्ध में स्थिति स्पष्ट नहीं की तो किसान मोर्चा सरकार के खिलाफ आंदोलन से भी गुरेज नहीं करेगा।
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]]>The post करसोग में किसानों को दी सुभाष पालेकर खेती की जानकारी first appeared on Aap Ki Khabar.
]]>आपकी खबर, करसोग। 1 मार्च
करसोग में बागवानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से कृषि विभाग विकास खंड करसोग की ओर से आत्मा परियोजना के अंतर्गत एक दिवसीय किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया।
यह गोष्ठी ग्राम पंचायत चौरीधार में आयोजित की गई। इसमें लगभग 100 किसानों ने भाग लिया। इस दौरान सभी किसानों को सुभाष पालेकर खेती की जानकारी दी गई।
इसके अलावा प्राकृतिक खेती में किस तरह से सेब का उत्पादन किया जा सकता है, इसके बारे में भी किसानों को जानकारी उपलब्ध करवाई गई।
करसोग नेचुरल फार्मर प्रोड्यूस कंपनी की सीईओ कुमारी भावना ठाकुर, बीओडी कला देवी, बीओडी भीम सिंह ने किसानों को फार्मर प्रोड्यूस कंपनी के बारे में जानकारी दी। इसमें किस तरह से किसान जुड़ सकते हैं और अपने उत्पाद मंडियों में बेच सकते हैं, इसकी भी जानकारी दी गई।
गोष्ठी में मुख्यतिथि के तौर पर ग्राम पंचायत चौरीधार प्रधान, वार्ड सदस्य, बीडीसी सदस्य और करसोग के ऐटीएम और बीटीएम ने भी मुख्य रूप से हिस्सा लिया।
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]]>The post मार्च माह के दूसरे सप्ताह तक किया जा सकता है सेब के पौधों का रोपण first appeared on Aap Ki Khabar.
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आपकी खबर, करसोग। 1 फरवरी
लंबे ड्राई स्पेल के चलते, जो बागवान अपने बगीचों में फलदार पौधों का रोपण नहीं कर पाए थे उनके लिए प्रदेश में हो रही बारिश व हिमपात वरदान से कम नहीं है। बागवान अब अपने बगीचों में विभिन्न प्रकार के फलदार पौधों का रोपण कर सकते हैं।
बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार पौध रोपण के लिए मार्च माह के दूसरे सप्ताह तक फलदार पौधे रोपित करने के लिए उचित समय है। विषय विशेषज्ञ उद्यान डाॅ. जगदीश चंद वर्मा ने बागवानों को बगीचों में पौधे रोपित करने की सलाह देते हुए बताया कि शीतोष्ण फल अभी सुप्त अवस्था में होते है इसलिए मार्च माह के दूसरे सप्ताह तक उनका पौधरोपण किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि लंबे अन्तराल के बाद प्रदेश भर में बारिश व हिमपात होने से बागवानों के चेहरे खिल उठे है। सूखे के कारण बागवान पौधारोपण जैसे कार्य नहीं कर पा रहे थे। बागवानों को सेब में चिल्लिंग आवर्स पूरे होने की चिंता सता रही थी। उन्होंने बताया कि इस बारिश व हिमपात के बाद अब सेब की फसल के लिए अवशयक चिल्लिंग आवर्स पूरे होने की संभावना बढ़ गई है।
गौरतलब है कि सेब की फसल के लिए चिल्लिंग आवर्स लगभग 800 से 1200 घंटे में पूरे होते है और उसके लिए लगभग 7 डिग्री से कम तापमान की आवश्यकता रहती है। बर्फवारी होने से अब जिसकी संभावना बन रही है। उन्होंने बताया कि ड्राई स्पेल के बावजूद भी क्षेत्र के बागवानों को अब तक लगभग 5 हजार सेब के पौधे उपलब्ध करवाए जा चुके है। उन्होंने बताया कि विभाग का प्रयास है कि बागवानों को उनकी मांग के अनुसार विभिन्न वैरायटी के फलदार पौधे उपलब्ध करवाए जाए जिसके लिए बागवान विभाग के पास अपनी डिमांड देकर भी पौधे प्राप्त कर सकता है।
उद्यान विकास अधिकारी चमेली नेगी ने बताया कि गत कुछ वर्षों से करसोग के निचले क्षेत्रों में बागवान सेब की उन्नत किस्मों का रोपण कर अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर रहे है। इन क्षेत्रों में अधिकतर बागवान रूट स्टाॅक पर उच्च घनत्व पर बागवानी कर रहे है। जल्दी तैयार होने वाली सेब की हाई कलर स्ट्रेंन किस्में व गाला किस्में लगाकर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे है। उन्होंने बागवानों को सलाह दी है कि वह केवल पंजीकृत पौधशाला से ही पौधों को खरीदें और अपने पास उपलब्ध संसाधनों व क्षेत्र की उंचाई को मध्यनजर रखते हुए रूट स्टाॅक और अन्य किस्मों का चयन करे।
विषय विशेषज्ञ उद्यान डाॅ. जगदीश वर्मा ने बताया कि बागवानों की मांग को देखते हुए उनकी सुविधा हेतू बागवानी विभाग करसोग द्वारा क्षेत्र के बागवानों को सेब की उन्नत किस्म की पौध सामग्री उचित मूल्य पर उपलब्ध करवाई जा रही है। जिसका वितरण चुराग स्थित विभाग के कार्यालय से पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जा रहा है।
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