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अंग्रेजी वर्ष 2022 की पहली अमावस्या 2 जनवरी यानि रविवार को आ रही है। ऐसे में पितरों को तर्पण के जरिए तृप्त किया जा सकता है। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान, पूजा, जप, तप व दान का भी विशेष महत्व बताया गया है। पौष मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि पौष अमावस्या के तौर पर मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि पित्तर कार्य करने के लिए जहां श्रेष्ठ मानी गई है वहीं पित्तर ऋण से मुक्ति के लिए भी इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है। सुबह उठकर स्नान इत्यादि दैनिक कर्मों से निवृत होने के बाद पित्तरों का तर्पण तथा श्राद्ध कर्म करना श्रेष्ठ माना गया है। मान्यता के अनुसार इस दिन पूजा पाठ व दान करने से जहां कष्टों से मुक्ति मिलती है वहीं पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए भी इस दिन विशेष रूप से पितृ यज्ञ का आयोजन किया जा सकता है। पौष मास की अमावस्या रविवार सुबह 3 बजकर 42 मिनट से रात्रि 12 बजकर 04 मिनट तक रहेगी। अमावस्या तिथि जहां भगवान विष्णु को समर्पित होती है वहीं इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने के अलावा पित्तरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण का विशेष विधान शास्त्रों में बताया गया है।
हिमाचल प्रदेश के विख्यात कथा वाचक एवं कर्म-कांड के ज्ञाता पंडित विशाल उपाध्याय ने बताया कि अमावस्या के दिन पितरों के निमित श्राद्ध, तर्पण तथा भगवान विष्णु की पूजा का अत्यधिक महत्व है जिसके चलते भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। इस दिन पितरों के निमित अन्न, वस्त्र, चरण पादुका तथा छत्र दान करने से पितरों को शांति मिलती है।