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एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नंद लाल शर्मा ने अवगत कराया कि एसजेवीएन ने अपने साझा विजन को वर्ष 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 25000 मेगावाट और 2040 तक 50000 मेगावाट तक बढ़ाया है। यह संशोधन इसके पोर्टफोलियो में कई परियोजनाओं को शामिल करने और पहले से ही स्थापित भारत और विदेशों में मेगा हाइड्रो परियोजनाओं के सफलतापूर्वक संचालन और कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हुआ है। जलविद्युत के पश्चात्, कंपनी ने सफलतापूर्वक विभिन्न व्यावसायिक कार्यक्षेत्रों को जोड़ा है और ताप, सौर, पवन विद्युत उत्पादन, विद्युत ट्रांसमिशन और पावर ट्रेडिंग में प्रवेश किया है।
इससे पहले, वर्ष 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 12,000 मेगावाट और 2040 तक 25,000 मेगावाट की स्थापित क्षमता का विजन तैयार किया गया था और एसजेवीएन के 31वां स्थापना दिवस पर 24 मई, 2018 को निर्धारित किया गया था। गत तीन वर्षों के दौरान कंपनी के व्यावसायिक विकास ने गति पकड़ी है और कंपनी ने तीव्र उन्नति की है। उन्होंने कहा कि “एसजेवीनाइट्स के अथक प्रयासों से कंपनी का पोर्टफोलियो 16000 मेगावाट से अधिक का हो गया है। एसजेवीएन के बढ़ते पोर्टफोलियो ने साझा विजन के इस संशोधन को आवश्यक बना दिया है।“
शर्मा ने अपने गणतंत्र दिवस के संबोधन के दौरान वर्ष 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 25,000 मेगावाट और 2040 तक 50,000 मेगावाट की स्थापित क्षमता के लक्ष्य के संशोधित साझा विजन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि, “ चार वर्ष पूर्व एसजेवीएन के पास 5000 मेगावाट का पोर्टफोलियो था। इसमें से केवल 1965 मेगावाट की परियोजनाएं ही प्रचालनाधीन थीं। कई वर्षों से लंबित पड़ी हुई परियोजनाओं को निर्माण स्तर पर लाया गया है। एसजेवीएन इससे पूर्व कभी भी एक समय में इतनी परियोजनाओं को निष्पादित नहीं कर रहा था, जितना आज कर रहा है।”
निर्माणाधीन 8 परियोजनाओं में निर्माण गतिविधियां तीव्र गति से आगे बढ़ रही हैं। इन परियोजनाओं में नेपाल में 900 मेगावाट की अरुण 3 एचईपी, बिहार में 1320 मेगावाट की ताप परियोजना, भूटान में 600 मेगावाट की खंलोंग्चु एचईपी, हिमाचल प्रदेश में 210 मेगावाट की लूहरी एचईपी और 66 मेगावाट की धौलासिद्ध एचईपी और उत्तराखंड में 60 मेगावाट नैटवाड़ मोरी एचईपी शामिल हैं।
एसजेवीएन का सौर और पवन पोर्टफोलियो 2017 में 5.6 मेगावाट की तुलना में वर्तमान में बढ़कर 2750 मेगावाट से अधिक हो गया है। हिमाचल प्रदेश में 880 मेगावाट की काजा सौर परियोजना, बिहार में 1000 मेगावाट की इरेडा सौर परियोजना, 200 मेगावाट की सौर परियोजना, उत्तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात में सौर परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं। 75 मेगावाट की परासन और 70 मेगावाट की बगोडरा सौर परियोजनाएं विकास के अग्रिम चरण में हैं और अगस्त 2022 तक कमीशनिंग के लिए निर्धारित है।
कंपनी के हाइड्रो पोर्टफोलियो में पर्याप्त वृद्धि हुई है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के तहत एसजेवीएन ने हाल ही में नेपाल में प्रतिष्ठित 669 मेगावाट की लोअर अरुण परियोजना हासिल की है। 1912 मेगावाट की स्थापित जलविद्युत क्षमता के साथ 10556 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं भारत, नेपाल और भूटान में विकास के विभिन्न चरणों में हैं।
एसजेवीएन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की प्रतिबद्धता के अनुरूप अपने व्यावसायिक मॉडल को पुनर्गठित किया है। इसके अलावा, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के.सिंह के कुशल मार्गदर्शन के तहत एसजेवीएन ने पूरे भारत और विदेशों में अपने फलक का विस्तार किया है और कई परियोजनाओं को अपनी किट्टी में जोड़ा है। दूरदर्शी अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा के गतिशील नेतृत्व में, एसजेवीएन विद्युत की मांग की पूर्ति के लिए अग्रसर होते हुए पूर्णत: विविध बहुराष्ट्रीय विद्युत कंपनी के रूप में उभरा है। एसजेवीएन द्वारा हाल ही के वर्षों में अपनाई गई विभिन्न पहलों के कारण एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल कर रहा है। कंपनी तकनीकी, वित्तीय और मानव संसाधन क्षेत्रों में परामर्श देने हेतु सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय परामर्शकों को नियुक्त कर रही है। एसजेवीएन निर्धारित समय सीमा से पहले समय एवं लागत ओवररन के बिना परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
24 मई 1988 को एकल जल विद्युत परियोजना कंपनी के रूप में स्थापित एसजेवीएन आज नेपाल, भूटान और देश के आठ राज्यों में परियोजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है। 1500 मेगावाट का नाथपा झाकड़ी जलविद्युत स्टेशन और 412 मेगावाट का रामपुर जलविद्युत स्टेशन कुशलता से प्रचालनरत है और निरंतर विद्युत उत्पादन के नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहे हैं।