आपकी खबर, शिमला।
जिला मंडी की करसोग घाटी इन दिनों बादाम के फूलों से गुलजार है। बादाम के पौधों पर खिले फूलों ने बगीचों का नजारा दिलकश बना दिया है। शिकारी देवी पहाड़ियों के दामन में स्थित ऐतिहासिक नगरी पांगणा सेब, बादाम, नाशपाती, प्लम, ब्लैक अंबर, प्रून, आडु, खुमानी, किवी, बेमौसमी अंग्रेजी सब्जियों, सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के कारण राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। शिकारी देवी की चरणगंगा रूपी पांगणा खड्ड न केवल शिकारी देवी से सतलुज मे विलिन होने तक तीन विधानसभा करसोग, नाचन, सुंदरनगर निर्वाचन क्षेत्र के हजारों लोगों को पोषित करती है अपितु किसानों व बागबानों के खेतों को भी सिंचित करती है।कलाशन पंचायत के ठण्डापाणी निवासी प्रगतिशील बागबान हीरालाल महाजन, व्यापार मण्डल पांगणा के अध्यक्ष व बागबान सुमीत गुप्ता का कहना है कि पांगणा उप-तहसील के बगीचों का सेब जहाँ सबसे पहले दिल्ली, शिमला, सोलन, परवाणु, चण्डीगढ की सेब मण्डियो मे दस्तक देता है वही सेब की तरह पागणा क्षेत्र के बगीचों मे तैयार हरा बादाम भी सबसे पहले राज्य और पड़ोसी राज्यों की फल मण्डियो में पहुंच जाता है। पागणा मे बसंत की आमद के साथ ही बादाम के फूल खिलने शुरू हो गये हैं।बसंत आगमन के साथ यह पहला व्यवसायिक फल है जिसके फूल खिलने से सभी को अवर्णनीय आनंद आता है। कड़ाके की ठण्ड के बाद गर्मी की आहट देते बादाम के पौधों में पत्तियों से पहले फूलों से पौधों की टहनियां ढक गईं हैं।सफेद, गुलाबी, बैंगनी रंग मिश्रित बादाम के शानदार फूलों से आती सुगंध मधुमक्खियों, तितलियों,भवरों को खूब आकर्षित करती है। बादाम के पौधों पर खिले फूलों से न केवल बागीचो की सुंदरता बढ़ती है अपितु प्रकृति भी चहक उठती है। इससे आसपास का वातावरण बहुत मनमोहक हो गया है। सुभाषपालेकर प्राकृतिक बागबानी अपनाने वाले बागबान रमेश का कहना है कि इस बार अच्छी बर्फबारी के कारण जमीन में गहरी नमी होने के कारण बादाम की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है। बंपर पैदावार से उपभोक्ताओं को ऊंचे दाम पर बादाम खरीदने की मुश्किल जहां कम होगी वही बागबानो को अच्छा आर्थिक लाभ भी होगा।
डाक्टर जगदीश शर्मा का कहना है कि सूखे बादाम गिरि मे संतृप्त वसीय अम्ल बहुत कम और कोलेस्टेरोल नहीं होता है। बादाम में फाईबर की प्रचुर मात्रा पाचन में सहायक होता है और हृदय रोगों से बचने में भी सहायक है। कब्ज के रोगियों के लिये बादाम लाभदायक रहता है। बादाम उच्च रक्तचाप रोगियों के लिये भी लाभदायक है। इनके अलावा बादाम में पोटैशियम, विटामिन ई, लौह, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस भी होता हैं। बादाम के तेल का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधनो मे भी किया जाता है। कागजी हरे बादाम का प्रयोग शीतल पेय”‘ठण्डाई”के रूप में किया जाता है।यही कारणहै कि निर्जला एकादशी तक हरे बादाम की बहुत माँग रहती है तथा इस दौरान हरे बादाम की मार्किट भी अच्छी रहती है। हरे बादाम खाने से शरीर में कम्यूनिटी बढ़ती है। बॉडी भी हाइड्रेट रहती है। हरे बादाम खाने से हृदय की बीमारियां कम होती हैं और स्किन भी ग्लो करती है।
सुभाषपालेकर प्राकृतिक खेती की मास्टर ट्रेनर लीना शर्मा का कहना है कि हालांकि लोगो का रूझान अब बादाम उत्पादन की ओर कम हो रहा है लेकिन इसके औषधीय गुणो और उत्पादन में रासायनिक खाद, कीट और फंफूदनाशक दवाओं का प्रयोग न होने के कारण शून्य लागत प्राकृतिक कृषि व बागबानी विधि से तैयार बादाम स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है।