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राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि राज्य में पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को और बढ़ावा देने के लिए पक्षी महोत्सव जैसी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से आयोजित किया जाना चाहिए ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस ओर ध्यान आकर्षित करते हुए वन्यजीव संरक्षण का संदेश भी दिया जा सके। राज्यपाल आज यहां वन विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ वन्य जीव दिवस पर आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राज्य में पक्षी महोत्सव की अपार संभावनाएं हैं, जो न केवल दुनिया भर के पक्षी प्रेमियों (बर्ड वॉचर) को आकर्षित करता है, बल्कि उनके लिए बेहतर संभावनाएं भी पैदा करता है। उन्होंने कहा कि पौंग बांध वन्यजीव अभयारण्य हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा वेटलैंड है, जिसका क्षेत्रफल 207 वर्ग कि.मी. है और यह राज्य के सबसे महत्वपूर्ण पक्षी स्थलों में से एक है। यहां दुनिया में सबसे अधिक संख्या में बार हेडेड गीज पहुंचते हैं। प्रतिवर्ष इस अभ्यारण्य में 40000 से 50000 बार हेडेड गीज आते हैं, जोकि विश्व में इनकी कुल संख्या का 45 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि प्रवासी पक्षियों के लिए यह सर्दियों का सबसे अच्छा स्थल है और वर्ष 2000 से पौंग झील में पक्षियों की लगभग 420 प्रजातियां दर्ज की गई हैं। उन्होंने कहा कि यहां जल पक्षियों की वार्षिक संख्या लगभग 1.10 लाख है।
राज्यपाल ने कहा कि जुजुराना (वेस्ट्रन ट्रैगोपन) हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी है और इसके संरक्षण के लिए प्रयास तेज किए जाने चाहिएं। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि सराहन प्रजनन केन्द्र में इस दिशा में सार्थक प्रयास किए गए हैं, जो दुनिया में जुजुराना के संरक्षण के लिए एकमात्र जालीबंद प्रजनन स्थल है। उन्होंने चीर फजेंट, जुजुराना आदि प्रमुख पक्षियों के संरक्षण के लिए फ्लैगशिप कार्यक्रमों को और प्रभावी ढंग से लागू करने पर भी बल दिया।
इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) राजीव कुमार ने वन्यजीव संरक्षण पर पावर प्वाइंट प्रस्तुति देते हुए कहा कि वर्ष 2022 के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया टीमों को मजबूत करने, एशियाई काले भालू, सामान्य तेंदुआंे और हिम तेंदुओं की संख्या अधिक होने पर उनका आदान-प्रदान और मोनाल, चीर तथा जुजुराना के संरक्षण व इनकी संख्या बढ़ाते हुए इन्हें प्राकृतिक वातावरण में छोड़ने का प्रस्ताव किया गया है।
इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव विवेक भाटिया भी उपस्थित थे।