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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज शिमला के गेयटी थियेटर में ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी, जिला हमीरपुर एवं हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भारतीय नव संवत्सर परम्परा उत्सव की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि आज से भारतीय नव संवत्सर प्रारम्भ हो रहा है। मान्यताओं के अनुसार सृष्टि की रचना चैत्र प्रतिपदा के दिन हुई थी। देशभर में यह उत्सव अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। हिमाचल प्रदेश में चैत्र मास का अपना अलग ही महत्व है और एक माह तक लोक गायक घर-घर जाकर पारम्परिक गीतों के माध्यम से चैत्र माह की बधाई देते हैं। उन्होंने कहा कि पौराणिक काल गणनाओं का प्रभाव आज भी प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में दृष्टिगोचर हो जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति से जुड़ी मान्यताओं एवं परम्पराओं का प्रस्तुतिकरण आवश्यक है ताकि इन्हें आगामी पीढ़ी तक ले जाया जा सके। नव संवत्सर के साथ जुड़ी धारणाएं व विचारों का महत्व युवा पीढ़ी को बताना होगा, तभी इन आयोजनों का उद्देश्य सफल हो सकेगा। इस अवसर पर डॉ. रवि आर्य ने भारतीय कालगणना तथा डॉ. चेतराम गर्ग ने नव संवत्सर परम्पराः इतिहास एवं संस्कृति, डॉ. कृष्ण मोहन पाण्डेय ने नव संवत्सर परम्परा का वैश्विक स्वरूप तथा डॉ. ओमप्रकाश शर्मा ने हिमाचल में नव संवत्सर परम्परा विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें हेमराज चन्देल एवं डॉ. लाल चन्द ने नव संवत्सर परम्परा गायन चैती गीत तथा गोपाल शर्मा धामी ने लोक रामायण की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर सचिव भाषा, कला एवं संस्कृति राकेश कंवर, हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी शिमला के सचिव डॉ. कर्म सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।