आपकी खबर, करसोग।
गर्मियों के मौसम में पहाड़ों का दीदार करने पर्यटक पहाड़ों का दीदार करने पहुंच रहे हैं l प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण नाचन निर्वाचन क्षेत्र का खनीऊड़ी गांव पांगणा उप-तहसील के खूबसूरत गांवों में से एक है। पांगणा- मंडी राजमार्ग पर स्थित जाच्छ वन निरीक्षण चौकी से दायीं ओर खनीऊड़ी के लिए वाहन योग्य एक सड़क जुड़ती है। जाच्छ से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर खनीऊड़ी गांव स्थित है।
पांगणा से शिकारी देवी की पदयात्रा के लिए खनीऊड़ी पड़ाव सदियों से आकर्षण का केन्द्र रहा। असीम प्राकृतिक सौदर्य समेटे यह गांव अपने में अतीत और वर्तमान का इतिहास भी संजोए हुए है। खनीऊडी के चहुऔर का दृश्य बहुत ही मनमोहक है। खनीऊड़ी से शिकारी देवी और देवीदढ तक पहुंचते-पहुंचते यह घाटी और भी सुन्दर हो गयी लगती है। स्थानीय निवासी, पर्यटक, श्रद्धालु खनीऊडी से दो-अढ़ाई घण्टे में पैदल चलकर शिकारी देवी और देवीदढ पहुंच जाते हैं। खनीऊडी से होकर ही शिकारी देवी की चरण गंगा रूपी पांगणा खड्ड प्रवाहित होकर मनसरोवर से करीब दो किला की दूरी पर स्थित “राक्षस ताल से निकली सतलुज नदी” में विलीन हो जाती है। गर्मियों में इसी चरण गंगा मे नहा धोकर पर्यटक स्फूर्ति प्राप्त करते हैं। यही चरण गंगा करसोग, नाचन, सुंदर नगर निर्वाचन क्षेत्र के बहुत से गांव वासियों की जीवन दायिनी भी है।
गत शनिवार को मोहाली पंजाब के रिलाइंस जिओ आई पी लीड के सीनियर मैनेजर राजेश शर्मा, सीगीनिटी सौफ्टवेयर सोल्यूशन मानव संसाधन मोहाली की प्रमुख श्वेता शर्मा अपने दल के सदस्य नाथपा झाकडी पावर कारपोरेशन के सीनियर इंजीनियर कीर्ति स्वरूप, पूनम शर्मा, दिल्ली निवासी बंटी मिश्रा ,विज्ञान अध्यापिका शालिनी मिश्रा, दया शर्मा और बच्चे खनीऊड़ी पहुंचे तो इनका कहना था कि प्रकृति ने पांगणा जाच्छ से लेकर खनीऊड़-शिकारी देवी तक के गांवो को जहाँ सुंदरता और एकांत दिया है वही धार्मिक तीर्थ स्थलों के कारण प्रसिद्धि भी प्रदान की है।
उन्होंने बताया कि खनीऊड़ी के युवा प्रेम सिंह व स्थाक लोग बहुत सहृदय, मिलनसार और दयालु हैं। रसवाला गाँव के निवासी रूपदेव ठाकुर का कहना है कि खनीऊडी से ठोठ, शनार, रसवाडा, चराण्डी गलू, तक फोर-वाई-फोर गेयर की गाड़ियों व बाईक योग्य सड़क बन जाने से स्थानीय निवासियों, पर्यटकों व श्रद्धालुओं को बहुत राहत मिली है वहीं , रैला, चवाली होकर देवीदढ तक की दूरी पांगणा से बहुत ही ज्यादा कम हो गयी है। इसी मार्ग पर काण्ढी गलू, नरोलाजान होकर शिकारीदेवी तक का सफर भी आसान हो गया है, मगर जैसे ही मामूली सी बारिश या बर्फबारी हो जाए तो यह सड़के वाहनो के चलने के अयोग्य हो जाती हैं। अगर यह सड़क अधिक चौडी हो इससे पांगणा से खनिउड़ी-रसवाडा होकर देवीदढ, शिकारी देवी,बूढ़ा केदार जाने वाले पर्यटकों, स्थानीयक वासियों और श्रद्धालुओ को बहुत ज्यादा सुविधा हो जाएगी।
खनीऊडी के आगे ठोठ में झरना,शनार मे सेब के बागीचे,रसवाडा मे शिकारीदेवी माता की मूल कोठी,चराण्डी गलु मे छोटी शिकारी देवी का मंदिर,रैला का प्राकृतिक दृश्य, चवाली का सुंदर गाव,देवीदढ तक प्रचुर वन संपदा,अनेक जड़ी बूटियों के साथ पक्षियो का कलरव अलौकिक सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देता है।
संस्कृति मर्मज्ञ डाक्टर जगदीश शर्मा का कहना है कि खनीऊड़ी होकर देवीदढ, शिकारी देवी जाने-आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों की संख्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है। पर्यटकों के ठहरने के लिए यहाँ पर सरकारी विभागों के विश्राम गृहो का निर्माण किया जाना चाहिए तथा स्थानीय वासियों को बुनियादी सुविधाए उपलब्ध करवाई जानी चाहिए ताकि विकास के अनेकों चरण पार कर खनीऊड़ी-रसवाला-मसोगल के लोगों मे आत्म विश्वास तथा नई चेतना की लहर पैदा हो सके।