- देश के 13 राज्यों के 22 भारतीय वन सेवा के अधिकारी ले रहे हिस्सा
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हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा दिनांक 6 से 11 जून तक “वन-पौधशाला, वृक्षारोपण तथा प्राकृतिक वनों में कीट प्रबंधन” पर भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के लिए एक सप्ताह के अनिवार्य प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में देश के 13 राज्यों के 22 भारतीय वन सेवा के अधिकारी भाग ले रहे हैं ।
अजय श्रीवास्तव, भा.व.से., प्रधान मुख्य अरण्यपाल तथा वन बल प्रमुख, हिमाचल प्रदेश वन विभाग ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम का उद्घाटन किया। अपने सम्बोधन में उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन के लिए हिमालय वन अनुसंधान संस्थान, शिमला तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार को बधाई दी। हालाँकि, यह एक बहुत ही तकनीकी और वैज्ञानिक विषय है, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में, वन प्रबंधकों को भी वनों के विकास और वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए कीटों की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ होना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाविद प्रतिभागियों के ज्ञानवर्द्धन हेतु अपने व्याख्यान देंगे, जिसे वे अंततःअपने-अपने क्षेत्र में लागू करेंगे। उन्होंने कीट प्रबंधन पर हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों तथा उपलब्धियों की भी सराहना की तथा आशा प्रकट की वन अधिकारी इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से अवश्य ही लाभान्वित होंगे।
डॉ. एस.एस. सामंत, निदेशक, हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला ने अपने सम्बोधन में सभी प्रतिभागियों का औपचारिक स्वागत किया। डॉ. सामंत ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्य रूप से वन पौधशाला, वृक्षारोपण और प्राकृतिक वनों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों के ज्ञान, कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग और पर्यावरण के अनुकूल अन्य गतिविधियों के प्रबंधन पर केंद्रित होगा।
उन्होंने उत्तर-पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के विभिन्न प्रकार के वानस्पतिक विविधता, मानवजनित दबाव और कीट घटनाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने परागणकों सहित गैर-लक्षित जीवों पर रासायनिक और कीटनाशकों के खतरनाक प्रभाव से जैव विविधता पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. संदीप शर्मा, वैज्ञानिक और समूह समन्वयक अनुसंधान, ने संस्थान की गतिविधियों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी और बताया संस्थान द्वारा पिछले 5-6 वर्षों से इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक आयोजजन किया जा रहा है।
डॉ. नितिन कुलकर्णी, प्रसिद्ध कीटविज्ञानी एवं निदेशक, वन उत्पादकता संस्थान, रांची, झारखंड, नें “वन पौधशाला, वृक्षारोपण तथा प्राकृतिक वनों में कीट प्रबंधन” पर अपनी बात रखने के लिए रांची, झारखंड से आए हैं ने अपने सम्बोधन में कहा कि यद्यपि यह विषय एक बहुत ही तकनीकी और वैज्ञानिक है परंतु इस विषय को अधिक महत्व नहीं दिया जाता है जबकि कीट वनों की उत्पादकता तथा विकास पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि वन प्रबंधकों को कीट-पीड़कों और उसके प्रबंधन के बारे में पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए । अपने विशेष व्याख्यान में उन्होंने बताया कि वन पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन की सबसे अधिक भागीदारी देशी वन कीट हैं । कीटों से प्रभावित होने वाले वन आग से प्रभावित होने वाले वनों से 45 प्रतिशत अधिका हैं जिसके परिणामस्वरूप कीटों का आर्थिक प्रभाव भी 5 गुणा अधिक है।
वैज्ञानिक एवं पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. पवन कुमार ने मुख्य-अतिथि तथा प्रशिक्षण में भाग ले रहे वन अधिकारियों का स्वागत किया । उन्होंने बताया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारियों को समय-समय पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रासंगिकता वाले विभिन्न विषयों में प्रशिक्षित करने के लिए एक योजना लागू की जा रही है । इस योजना के अंतर्गत देश के प्रमुख संस्थानों में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के लिए ज्ञान, कौशल को अद्यतन करने और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के दृष्टिकोण में बदलाव के लिए एक/ दो सप्ताह की अवधि के विभिन्न मुद्दों पर विशेष दर्जे के पाठ्यक्रम पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता हैं। पाठ्यक्रमों का मूल्यांकन प्रतिभागियों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर किया जाता है तथा तदनुसार, पाठ्यक्रमों के प्रायोजन और पाठ्यक्रमों के विषयों में परिवर्तन में सुधार किया जाता है।
डॉ. अश्विनी तपवाल, वैज्ञानिक, ने इस महत्वपूर्ण पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, संसाधन व्यक्तियों तथा प्रतिभागियों को धन्यवाद का इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भाग लेने किए लिए धन्यवाद किया । उन्होंने बताया कि संस्थान ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के मूल उद्देश्य को पूरा करनेहेतु वरिष्ठ वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और विषय विशेषज्ञों की व्यवस्था करके इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को उचित और व्यवस्थित तरीके से आयोजित करने हेतु संस्थान द्वारा पूर्ण प्रयास किए गए है।
प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के प्रथम दिन प्रख्यात वक्ताओं में शामिल प्रो. (डॉ.) टी.एन. लखनपाल, प्रोफेसर एमेरिटस और अध्यक्ष (सेवानिवृत्त), जैव विज्ञान विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, डॉ के.एस. संघा, प्रिंसिपल एंटोमोलॉजिस्ट, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और प्रो. (डॉ.) सुनीता चंदेल, पैथोलॉजी विभाग, डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौनी, सोलन ने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान ने अपने विशेष व्याख्यान दिए।