हिमाचल

किताबें हमारी सच्ची मित्र, मार्गदर्शक और दार्शनिक : राज्यपाल

  • राज्यपाल ने शब्दों की भावना को समझने पर बल दिया

आपकी खबर, शिमला। 

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज शिमला में जसवां-परागपुर विकास परिषद द्वारा आयोजित विद्यार्थियों के साथ संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि अक्षर के साथ शब्द की भावना को समझना महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों को जीवन में पुस्तकों और पढ़ने के महत्व पर विशेष बल दिया।

राज्यपाल ने कहा कि वे मोबाइल फोन और टेलीविजन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किताबें पढ़ना भी बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अच्छी किताबों को पढ़ने पर विशेष महत्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने बच्चों को पुस्तकालय में अच्छी किताबें पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हमें किताब जैसा शिक्षक नहीं मिलेगा क्योंकि किताबें हमारी सच्ची मित्र, मार्गदर्शक और दार्शनिक हैं। उन्होंने कहा कि हमारी कथनी और करनी में समानता होनी चाहिए तभी हमारा जीवन सार्थक होगा।

उन्होंने बच्चों के समक्ष अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें बच्चों का साथ पसंद है इसलिए वह इस तरह के कार्यक्रमों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने जसवां-परागपुर के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि दूसरों को भी इनसे प्रेरित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समाज में कई तरह की समस्याएं हैं, परन्तु जो व्यक्ति समस्याओं को पहचान कर इनका समाधान निकाल कर आगे बढ़ता है वह सच्चे अर्थों में समाज सेवा करता है।

परिषद के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वे हर पंचायत में एक पुस्तकालय शुरू करने के प्रयास करें ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों को उनके घर-द्धार के समीप यह सुविधा उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि एक आदर्श समाज स्थापित करने के लिए विभिन्न वर्गों में अच्छी किताबों के प्रति पठन-पाठन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी बच्चों के साथ उनका संवाद जारी रहेगा।

इस संवाद कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जसवां-परागपुर क्षेत्र के विभिन्न गांवों के लगभग 188 विद्यार्थी और अध्यापक शैक्षणिक भ्रमण पर शिमला आए हैं।

इससे पूर्व, कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित बाल देसाई ने कहा कि यह अंग्रेजी शिक्षण एवं कम्प्यूटर केन्द्र की ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को कौशल एवं ज्ञान प्रदान कर आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करने की अभिनव पहल है। उन्होंने शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में जसवां-परागपुर विकास परिषद के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भविष्योन्मुखी शिक्षा प्रदान करना सुनिश्चित कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह देश के भविष्य से जुड़ा एक प्रेरणादायक कार्यक्रम हैै।

राज्यपाल का स्वागत करते हुए जसवां-परागपुर विकास परिषद् के अध्यक्ष कैप्टन संजय पराशर ने कहा कि क्षेत्र के 36 गांवों में निःशुल्क कंप्यूटर और अंग्रेजी सीखने के केंद्र खोले गए हैं, जहां करीब 2500 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इन केंद्रों में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियां को किताबें, प्रिंटर और इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। इस अवसर पर विद्यार्थियों और अध्यापकों ने अपने अनुभव साझा किए।

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