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सीएम जयराम ने आई.आई.टी. मंडी में किया हिमालयन स्टार्टअप ट्रेक का आगाज

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आपकी खबर, मंडी।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के परिसर में संस्थान के वार्षिक स्टार्टअप इवेंट के छठे संस्करण ‘हिमालयन स्टार्टअप ट्रेक 2022’ का शुभारम्भ किया। इसमें नए उद्यमियों, निवेशकों और अनुभवी उद्यमियों सहित भारतीय स्टार्टअप्स इकोसिस्टम के हितधारकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

मुख्यमंत्री ने संस्थान परिसर में ‘आईआईटी मंडी कैटालिस्ट को-वर्क स्पेस एंड आई-हब’ और एचसीआई फाउंडेशन के कार्यालय का भी शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर लाल किले से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में भारत को प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान’ का नारा दिया है। मुख्यमंत्री ने स्थापना के बाद अल्प अवधि में ही आईआईटी मंडी द्वारा किए गए अनुसंधान कार्यों की भी सराहना की।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार के सहयोग से हिमालयन स्टार्टअप ट्रेक हिमाचल प्रदेश में उभरते हुए स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का एक प्रतीक बन गया है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से शीर्ष स्टार्टअप को आईआईटी मंडी कैटालिस्ट द्वारा इनक्यूबेशन सपोर्ट के लिए चुना जाएगा। राज्य के विभिन्न विभागों की मदद से कई स्टार्टअप्स उभरेंगे और उन्हें नई संभावनाएं तलाशने के अवसर मिलेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने आईआईटी मंडी आईहब और एचसीआई फाउंडेशन को 110 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध करवाई है। स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, स्टार्टअप इंडिया और हिमाचल प्रदेश सरकार ने 70 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं। इसमें से प्रदेश सरकार ने आईआईटी मंडी को 10 करोड़ की धनराशि उपलब्ध करवाई है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने पौने पांच वर्षों के दौरान राज्य में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल के युवाओं को राज्य सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे विभिन्न प्रोत्साहन कार्यक्रमों का लाभ उठाना चाहिए और नवाचार एवं अनुसंधान के माध्यम से सतत समाधान की दिशा में कार्य करना चाहिए, जिससे प्रदेश के साथ-साथ देश को भी लाभ हो।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्टार्टअप नीति में संशोधन के लिए आईआईटी मंडी से भी सुझाव मांग रही है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य इसे और प्रभावी बनाना और स्टार्टअप्स को अधिक लाभ प्रदान करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आईआईटी मण्डी निःसंदेह राज्य का सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग संस्थान है और इसने राज्य में एक जीवंत स्टार्टअप और नवोन्मेष पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने की जिम्मेदारी ली है। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि आईआईटी मंडी कैटालिस्ट अधिक ऊर्जा और उत्साह के साथ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति के साथ-साथ समाज की बेहतरी और आम आदमी के कल्याण के लिए अनुसंधान बहुत महत्वपूर्ण है।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कमांद स्थित आईआईटी परिसर का वातावरण अध्ययन और अनुसंधान के लिए सबसे उपयुक्त है और यहां उचित हवाई संपर्क इस संस्थान को फलने-फूलने के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने कहा कि मंडी जिले में अतिशीघ्र ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे इस प्रतिष्ठित संस्थान के छात्रों, शिक्षकों और अन्य लोगों को बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इस अवसर पर जय राम ठाकुर ने तीन अलग-अलग विषयों ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरएक्शन, बिल्ड फॉर द हिमालयाज एंड एनवायरमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी पर आधारित स्टार्टअप ग्रैंड चौलेंज के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस अवसर पर स्टार्टअप द्वारा लगाए गए विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन किया और इनमें गहरी रुचि दिखाई। कार्यक्रम के दौरान द्रंग के विधायक जवाहर ठाकुर ने कहा कि मंडी जिला और विशेष रूप से द्रंग विधानसभा क्षेत्र के लोग भाग्यशाली हैं कि कमांद में आईआईटी जैसा राष्ट्रीय स्तर का प्रतिष्ठित संस्थान स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि परिसर के बाहर एक बिक्री काउंटर स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि स्थानीय लोग अपने दूध, दही और पनीर जैसे उत्पाद बेच सकें। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र के किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में काफी मदद मिलेगी।

वैज्ञानिक जी, एनएसटीईडीबी, डीएसटी डॉ. अनीता गुप्ता ने भी कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। वैज्ञानिक एफ, निदेशक, एमईआईटीवाई डॉ. अजय गर्ग ने कहा कि यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि आईआईटी मंडी के पास कमांद में एक स्थायी स्टार्टअप घाटी बनाने की योजना है, जो देश भर से उच्च तकनीकी स्टार्टअप को आकर्षित करेगी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में आईआईटी मंडी को भारतीय स्टार्टअप के लिए एक अद्वितीय स्टार्टअप गंतव्य के लिए रूप में विकसित करने के लिए भौतिक और बौद्धिक संसाधन उपलब्ध करवाने के प्रति प्रतिबद्ध है।

आईआईटी मंडी के निदेशक डॉ. लक्ष्मीधर बेहरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्टार्टअप में भारत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए एक उचित इकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप को जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण, सभी के लिए खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों के समाधान के लिए भी कार्य करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कृषि को प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाना चाहिए ताकि इस व्यवसाय को आर्थिक रूप से व्यवहारिक बनाने के साथ-साथ सम्मानजनक भी बनाया जा सके। केटालिस्ट के संकाय प्रभारी, पूर्ण सिंह ने हिमालयन स्टार्ट-अप के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए गणमान्य व्यक्तियों के साथ-साथ प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आईआईटी को स्टार्टअप के लिए 400 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनकी छंटनी की गई। इस पूरी प्रक्रिया को लगभग 45 संकाय सदस्यों द्वारा पूरा किया गया है।

उन्होंने कहा कि राज्य की स्टार्टअप नीति-2022 को संशोधित करने के लिए आईआईटी मंडी उद्योग विभाग के संपर्क में है ताकि विभिन्न हितधारकों के लिए कमांद घाटी में हार्ड और सॉफ्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया जा सके, जो तकनीकी रूप से विश्व स्तरीय और सांस्कृतिक रूप से हिमालयी स्टार्टअप इकोसिस्टम होगा। आईआईटी मंडी के अकादमिक अधिष्ठाता डॉ. राहुल वैश्य ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। वरिष्ठ भाजपा नेता ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष राजबली, निदेशक उद्योग राकेश प्रजापति, उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी, पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।

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