- पटेल की जयंती पर शिमला में संकल्प रंगमंडल ने नुक्कड़ नाटक से गिनाई उपलब्धियां
आपकी खबर, शिमला।
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार तथा राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के सौजन्य से हिमाचल प्रदेश की अग्रणी नाट्य संस्था संकल्प रंगमंडल शिमला ने 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 146वी जयंती के विशेष अवसर पर शिमला के दो प्रतिष्ठित स्थानों सेंट थॉमस स्कूल, शिमला व ऐतिहासिक गेयटी थिएटर के मुक्ताकाशी रंगशाला में अपने नुक्कड़ नाटक ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का मंचन कर किया।
उल्लेखनीय है कि 31 अक्टूबर को भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है। हर साल इस दिन को नेशनल यूनिटी-डे या राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल सरदार वल्लभ भाई पटेल की 146वीं जयंती है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 560 रियासतों को भारत संघ में एकीकृत करने में अहम भूमिका निभाई थी। राष्ट्र को एकजुट करने के लिए सरदार पटेल के किए प्रयासों को स्वीकार करने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।
राष्ट्रीय एकता की दिशा में उनके प्रयासों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत के लौह पुरुष के रूप में संदर्भित किया है। वल्लभ भाई पटेल के योगदान का सम्मान करने के लिए हर साल 31 अक्टूबर को यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जबकि केंद्र सरकार ने 2014 में 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।
1939 में हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन में जब देशी रियासतों को भारत का अभिन्न अंग मानने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया तभी से सरदार पटेल ने भारत के एकीकरण की दिशा में कार्य करना प्रारंभ कर दिया तथा अनेक देशी रियासतों में प्रजा मण्डल और अखिल भारतीय प्रजा मण्डल की स्थापना करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस तरह लौह पुरुष सरदार पटेल ने अत्यंत बुद्धिमानी और दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए वी पी मेनन और लार्ड माउंट बेटन की सलाह व सहयोग से अंग्रेजों की सारी कुटिल चालों पर पानी फेरकर नवंबर 1947 तक 565 देशी रियासतों में से 562 देशी रियासतों का भारत में शांतिपूर्ण विलय करवा लिया।
भारत की आजादी के बाद भी 18 सितंबर 1948 तक हैदराबाद अलग ही था लेकिन लौह पुरुष सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम को पाठ पढ़ा दिया और भारतीय सेना ने हैदराबाद को भारत के साथ रहने का रास्ता खोल दिया।
भारत के 2/5 भाग क्षेत्रफल में बसी देशी रियासतों जहां तत्कालीन भारत के 42 करोड़ भारतीयों में से 10 करोड़ 80 लाख की आबादी निवास करती थीए उसे भारत का अभिन्न अंग बना देना कोई मामूली बात नहीं थी। इतिहासकार सरदार पटेल की तुलना बिस्मार्क से भी कई आगे करते है क्योंकि बिस्मार्क ने जर्मनी का एकीकरण ताकत के बल पर किया और सरदार पटेल ने ये विलक्षण कारनामा दृढ़ इच्छाशक्ति व साहस के बल पर कर दिखाया।