- जीवन के हर क्षेत्र में स्वदेशी को अपनाएं : आर्लेकर
आपकी खबर, शिमला।
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए सभी लोगों से जीवन के हर क्षेत्र में स्वदेशी को अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि स्वयं स्वदेशी उत्पादों को अपनाने के साथ ही अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें। वे आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की शृंखला में धर्मशाला में ‘भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गणितज्ञ राधानाथ सिकदर की भूमिका’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला एवं आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत एक माह तक चली विविध गतिविधियों के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
यह कार्यक्रम विज्ञान भारती द्वारा केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के साथ मिलकर केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला और राजकीय डिग्री कॉलेज धर्मशाला के सहयोग से आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों की शृंखला में धर्मशाला के त्रिगर्त सभागार में आयोजित किया गया था।
राज्यपाल ने कहा कि भारत की समृद्ध परंपरा और ज्ञान के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए हम पूरे विश्व के मार्गदर्शन की काबिलियत रखते हैं। आवश्यक है कि हम अपने ‘स्व’ का सृजन और जागरण करें। ‘स्व-भाषा, देश, इतिहास, परंपरा और संस्कृति’ के जागरण के साथ आगे बढ़ने पर हमें कोई रोक नहीं पाएगा।
आर्लेकर ने कहा कि इतिहास गवाह है कि बाहर से आए सभी आक्रमणकारियों ने भारत के ‘स्व’ पर आघात किया। उन्होंने हमारी जीवन पद्धति को नष्ट किया ताकि हम एक राष्ट्र के रूप में आगे न आ सकें, लेकिन अब इतिहास करवट बदल रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि आजादी के अमृत काल में विश्वास जताया है कि भारत की आजादी के शताब्दी वर्ष तक अगले 25 साल देश के नव निर्माण के होंगे। राज्यपाल ने सभी लोगों से मिलकर 25 साल के लक्ष्य के साथ काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत को अब सोने की चिड़िया नहीं, बल्कि सोने का शेर बनाने लिए प्रयास करने होंगे, जिससे भारत सारे विश्व के लिए मार्गदर्शक होगा।
आर्लेकर ने कहा कि युवा पीढ़ी को दिशा दिखाने की आवश्यकता है। उन्हें यह बताने की जरूरत है कि गणितज्ञ राधानाथ सिकदर जैसे हमारे महान पूर्वजों ने विज्ञान समेत जीवन के हर क्षेत्र में क्या-क्या उपलब्धियां अर्जित की हैं। उनके पदचिन्हों पर चलकर जीवन की ऊंचाई पाई जा सकती है।
राज्यपाल ने कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले हिमाचल के सात पर्वतारोहियों को सम्मानित किया।