- कुंठित बच्चे का सवाल, पापा क्या ये जंगल पहले से ही ऐसा है?
- जब व्यथित मन से 15 साल के बच्चे ने कहा, क्या हम इसके लिए कुछ कर सकते हैं?
आपकी खबर, शिमला।
पर्यावरण प्रेमियों के लिए यह खबर मन को व्यथित करने वाली है। जब 15 साल के बच्चे ने कुंठित मन से कहा कि पापा क्या ये जंगल पहले से ही ऐसा था। जहां दूर दूर तक पेड़ों का नामोनिशान नहीं है। जो पेड़ हैं भी वो या तो जले हुए हैं या फिर गिर गए हैं।
बात टुटू ब्लॉक की गलोट पंचायत की है। करीब 8 बरस बाद इस जंगल में जाना हुआ। पहले इस जंगल में एक जगह से दूसरी जगह देखना भी मुश्किल होता था। आज इसकी हालत बहुत खराब हो गई है। हर बरस इस जंगल में गर्मियों में आग लग जाती है। इससे छोटे पौधों को भी भारी नुकसान हुआ है।
अरमान ठाकुर इसी पंचायत के शल्होग गांव का रहने वाला है। वर्तमान में अरमान टुटू के डीएवी स्कूल में नौवीं कक्षा का विधार्थी हैं। ऐसी हालत देख उसके मन को भी ठेस पहुंची। पूरे जंगल में दो चार पेड़ ही बचे थे जो पूरी तरह सलामत थे।
उसका एक प्रश्न ही मेरे दिल को बहुत विचलित कर गई। रौंधे स्वर में उसने पूछा कि पापा क्या हम इस जंगल के लिए कुछ नहीं कर सकते? मैने कहा हां बेटा हम जरूर कुछ ना कुछ इसके बारे में सोचते हैं। मेरे होश हवास में कभी ऐसा लम्हा याद नहीं आया जब इस जंगल में पौधरोपण हुआ हो। मैं इस खबर के माध्यम से सभी स्वयंसेवियों से भी आग्रह करना चाहता हूं कि जब भी पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया जाए तो इस जंगल में जरूर कराएं। ताकि इस जंगल के वजूद को खत्म होने से बचाया जाए।