- विडंबना : हिमाचल में महिला वोटर 27 लाख से अधिक, सत्तासीन पार्टी कांग्रेस में एक भी महिला जनप्रतिनिधि नहीं
- कांग्रेस ने महिला वोटर को रिझाने के लिए की थी बड़ी घोषणाएं
- कांग्रेस ने चुनावों के समय इन्हें प्रतिमाह 1500 रुपये देने की घोषणा की है
आपकी खबर, शिमला।
हिमाचल प्रदेश की विडंबना यह है कि इस समय प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या 27 लाख से ऊपर है। बावजूद इसके सत्तासीन कांग्रेस में एक भी महिला जन प्रतिनिधि नहीं है। ऐसे में सवाल यह भी उठाए जा रहे हैं कि क्या सरकार महिलाओं की उम्मीदों पर खरा उतरेगी।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला था। उन्होंने महिलाओं को केंद्रित करते हुए चुनाव प्रचार किया। बावजूद इसके कांग्रेस की महिला प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर सकी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर डलहौजी से आशा कुमारी, मंडी से चंपा ठाकुर और पच्छाद से दयाल प्यारी ने चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव नहीं जीत पाईं। महिलाओं के वोट रिझाने के लिए कांग्रेस ने चुनावों के समय इन्हें प्रतिमाह 1500 रुपये देने की घोषणा की है।
माना तो यह भी जा रहा है कि महिलाओं ने भी कांग्रेस पार्टी पर भरोसा जताया और खुलकर मतदान किया था।
हिमाचल प्रदेश सरकार के इतिहास में छठी बार राज्य मंत्रिमंडल में एक भी महिला मंत्री नहीं होगी। वर्ष 1967, 1980, 1985 1990 और 1998 में बनी सरकारों में भी आधी आबादी की मंत्रिमंडल में भागीदारी नहीं थी। 1985 में वीरभद्र सिंह की अगुवाई में बनी कांग्रेस सरकार में विद्या स्टोक्स को विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
अगर आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 1990 में भाजपा के मुख्यमंत्री रहे शांता कुमार ने लीला शर्मा और 1998 की सरकार में मुख्यमंत्री प्रो. प्रेमकुमार धूमल ने उर्मिल ठाकुर को संसदीय सचिव बनाया था। 1967 की वाईएस परमार सरकार और 1980 से 1983 तक ठाकुर रामलाल और वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में बनी सरकार में महिला विधायकों को कोई भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला था। 1972, 1977, 1993, 2003, 2007, 2012 और 2017 में बनी सरकारों में महिलाएं मंत्री बनती रही हैं।