आपकी ख़बर, करसोग।
सोमवार का दिन था और दोपहर के डेढ़ बज रहे थे, गर्मी का ऐसा आलम था कि मानो कंठ सूख रहा हो। बात करसोग क्षेत्र की हो रही है। आज करसोग बाजार में होली उत्सव की खासी धूम रही, डीजे की धुनों में हर कोई खूब थिरक रहा था। ऐसे में क्षेत्र के युवा और मिलनसार विधायक दीपराज को भी उस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करनी थी। सराहनीय बात यह है कि जश्न से लबरेज इस कार्यक्रम में पहुंचने के लिए सरल स्वभाव के विधायक दीपराज बाजार की गलियों और मार्ग से पैदल ही निकले और राहगीरों को होली की बधाई देने सहित उनकी अपेक्षाओं को जानने का प्रयास किया।
ऐसे में विधायक को राह में चलती एक वृद्ध महिला मिली। विधायक ने उनके पांव छूए और उन्हें गुलाल लगाने लगे लेकिन उसी वक्त उस बुजुर्ग महिला ने कह दिया कि ‘‘बेटा मुझे रंग मत लगाओ’’ विधायक ने यह सुनकर मुस्कुराते हुए कहा कि ‘‘माता आज होली है और आप मेरी मम्मी जैसे हो इसलिए आपको गुलाल लगाना मेरा हक बनता है’’ सामने से नम आंखों के साथ ‘‘वेदना भरी आवाज से वृद्धा ने कहा बेटा मेरे पति नहीं रहे, कुछ समय पहले एक हादसे के कारण उनकी मृत्यु हो गई…तभी तो आज करसोग बाजार में भटक रही हूं’’। यह सुनकर विधायक दीपराज काफी भावुक हो गए और कहने लगे माता मैं आपका बेटा हूं और मेरे होते हुए आप कभी भी नहीं भटक सकते, आपकी सारी परेशानी मेरी है। आप बताएं मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं।
यह सुनकर वृद्ध महिला ने हल्की मुस्कान दी और विधायक के कंधे पर आशीष स्वरूप हाथ रख दिया, महिला को यह मालूम नहीं था कि सामने वाला कोई और नहीं बल्कि करसोग क्षेत्र का विधायक है। लेकिन आसपास के लोगों ने महिला को बताया कि इन्हें अपनी समस्या बताएं ये हमारे विधायक हैं। यह सुनकर वृद्ध महिला ने अपेक्षाओं से भरी आंखों से दीपराज की ओर देखा और कहा बेटा मैं परलोग क्षेत्र से हूं और मैंने आपसे ही मिलना था, आपको कभी करीब से देखा नहीं था तो पहचान नहीं पाई। ऐसे में विधायक ने त्वरित महिला से कहा कि मुझे अपनी समस्या बताएं और महिला ने भी अपने झोले से एक फाइल निकाली जिसमें उनकी मांग से संबंधित कुछ कागज थे।
विधायक ने उन कागजों को सहानुभूतिपूर्वक पढ़ा और उक्त वृद्ध महिला का हाथ पकड़ कर करसोग के एसडीएम के आवास स्थान पर पहुंच गए। विधायक ने आवास की घंटी बजाई और बाहर एसडीएम स्वयं आए उन्होंने अपने दरवाजे पर विधायक को देखकर हैरानी जताई और कहने लगे विधायक जी आज छुट्टी वाले दिन आप यहां.. कैसे? विधायक दीपराज ने हाथ में उठाई फाइल को उनकी तरफ करते हुए कहा कि मेरी माता का कुछ महत्वपूर्ण काम है ये जितना जल्दी हो सके बेहतर होगा। एसडीएम ने फाइल के अंदर रखे सारे कागजात पढ़े और भरोसा दिलाते हुए कहा कि कल ही इस काम को प्राथमिकता से करूंगा। बहरहाल, उस फाइल में वृद्ध महिला के पेंशन एवं आर्थिक सहायता संबंधी कुछ औपचारिकताओं के कागज बंधे थे।
इसके बाद विधायक महिला सहित वहां से वापस आ गए और महिला से उनका मोबाइल मांगा और उससे अपने फोन पर रिंग करके महिला का नंबर सेव कर लिया और कहा कि कल मैं आपको फोन करूंगा। इसके साथ ही विधायक ने कुछ पैसे भी उस वृद्ध महिला को देते हुए कहा कि माता आप आराम से घर जाएं और एक बेटा समझ कर मुझे फोन किया करें और जो भी छोटा-बड़ा काम हो मुझे बेझिझक बता दिया करें। यह सब देखकर वृद्ध महिला के आंखों से आंसू टपक गए जो रूकने का नाम नहीं ले रहे थे। यह दृश्य हर किसी को भावुक करने वाला था। महिला कहने लगी बेटा आपने मुझे बहुत पैसे दे दिए अब मेरा काम हो जाएगा तो इन पैसों की क्या जरूरत है। विधायक ने महिला के आंसू पोंछते हुए कहा कि एक बेटा जब कमाने वाला हो जाता है तो मां को बेझिझक उससे पैसे लेने चाहिए और वैसे भी आपकी सेवा के लिए यह पैसे काफी कम हैं। वृद्ध महिला ने आशीर्वाद देकर विधायक से विदाई ली और अपने गंतव्य की ओर जाने लगी। इधर-उधर होली के जश्न में डूबे लोग यह देखकर कहने लगे कि ऐसा बेटा हर मां का हो और ऐसा जनप्रतिनिधि हर क्षेत्र का होना चाहिए।
सराहनीय, हृदयस्पर्शी व अतिउत्तम कार्य। करसोग क्षेत्रवासी ऐसे कोमल हृदय वाले जनप्रतिनिधि पाने पर बधाई के पात्र हैँ। यह पूरा वाक्य बहुत भावुक करने वाला है।