हिमाचल

विश्व पृथ्वी दिवस : युवाओं ने ली धरती को बचाने की शपथ

वैज्ञानिक बोले- पृथ्वी को बचाना है तो वृक्षों से करें दोस्ती

आपकी ख़बर, शिमला।

उमंग फाउंडेशन के दिव्यांग एवं अन्य सदस्य युवाओं ने हिमालयन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एचएफआरआई) के साथ मिलकर पॉटर्स हिल के नजदीक पश्चिमी हिमालय वनस्पति उद्यान में विश्व पृथ्वी दिवस मनाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि – एचएफआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिकों-डॉक्टर वनीत जिस्टू और डॉक्टर जगदीश ने कहा कि पृथ्वी को बचाने के लिए वृक्षों से दोस्ती जरूरी है। उन्होंने जन्मदिन एवं अन्य शुभ अवसरों पर एक पौधा लगाने की अपील की। कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों को पृथ्वी के संरक्षण और संवर्धन की शपथ भी दिलाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय चुनाव आयोग की ब्रांड एंबेसडर और दृष्टिबाधित सहायक प्रोफेसर मुस्कान नेगी ने की। कार्यक्रम की संयोजक और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में बॉटनी की दिव्यांग रिसर्च स्कॉलर अंजना ठाकुर एवं सोशल वर्क की विद्यार्थी रितु वर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में 35 दिव्यांग एवं अन्य युवाओं ने हिस्सा लिया। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव के अनुसार एचएफआरआई के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि यदि दुनिया भर में पेड़ों का कटान वर्तमान रफ्तार से जारी रहा तो अगले 50 साल बाद पृथ्वी पर मनुष्य का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा। वैज्ञानिकों ने बताया कि विश्व में हर वर्ष एक करोड़ पेड़ काटे जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण कागज का निर्माण है। यदि हम टिशु पेपर का उपयोग बंद कर दें या कम इस्तेमाल करें तो लाखों पेड़ बचाए जा सकते हैं। कार्यालयों में ई गवर्नेंस के उपयोग से कागजों का इस्तेमाल कम किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास का अर्थ पृथ्वी का विनाश बिल्कुल नहीं है। पर्वतीय क्षेत्रों में कथित विकास के लिए जिस प्रकार वृक्षों का कटान होता है उससे हिमालय क्षेत्र खतरे में पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि वृक्षों और वनस्पतियों की अनेक स्थानीय प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। उनके संरक्षण के लिए एचएफआरआई बड़े पैमाने पर प्रयास कर रहा है। डॉ जिस्टू और डॉक्टर जगदीश ने कहा कि गांव से लेकर शहरों तक में ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा होती है। हमारे शोध से पता चला है कि इसका प्रभाव हिमालय क्षेत्र में काफी हुआ है और जलवायु में परिवर्तन साफ दिखता है। उन्होंने कहा कि हम क्लाइमेट चेंज को पूरी तरह रोक तो नहीं सकते। परंतु इसकी रफ्तार को धीमा कर सकते हैं। उन्होंने अनेक उदाहरण देकर विद्यार्थियों को समझाया कि किस तरह वे अपने रोजमर्रा के काम करने के साथ-साथ पृथ्वी को बचाने के प्रयास कर सकते हैं। वनस्पति उद्यान में प्रकृति के बीच हुए इस आयोजन मोनिका अखिल चौधरी विमल जाटव और रितु वर्मा आदि युवाओं ने वैज्ञानिकों से प्रश्न भी पूछे। वैज्ञानिकों ने युवाओं को वनस्पति उद्यान में लगे दुर्लभ वृक्षों एवं वनस्पतियों से भी परिचय कराया। मुस्कान, श्वेता शर्मा शिवानी अत्री और मोनिका ने अपने गीतों से समा बांध दिया। कार्यक्रम में शामिल दिव्यांगता वाले युवाओं में मुकुल जिस्टू, आर्यन कुकरेजा, अंजना कुमारी प्रतिभा ठाकुर, सवीना जहां, विमल जाटव, अंजना ठाकुर, अमित कुमार, राहुल, अनुराधा, अभिषेक भागड़ा ज्योति नेगी सलोनी प्रियंका वोहरा के अलावा उषा ठाकुर नीतिका लखनपाल, दीक्षा वशिष्ठ, मीनाक्षी शबाब, अखिल चौधरी, समीक्षा, सिद्धार्थ लखनपाल, गौतमी श्रीवास्तव और पीएन जिस्टू थे।

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