हिमाचल

विरोध के बाद सीएम सुक्खू ने लिया यूटर्न, बोले- नहीं होगी शिक्षकों की अस्थायी भर्ती

आपकी ख़बर, शिमला।

हिमाचल प्रदेश में शिक्षकों की अस्थायी भर्ती मामले ने काफी तूल पकड़ा और इसका काफी विरोध भी हुआ। ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यूटर्न लिया है। प्रदेश में रोजगार के अवसर तलाशने के लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी के अस्थायी शिक्षक भर्ती के प्रस्ताव का विरोध के आगे राज्य सरकार को झुकना पड़ा है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने एक मिनट का वीडियो जारी कर कमेटी की ओर से इस बाबत कोई भी प्रस्ताव तैयार करने का खंडन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकों की अस्थायी भर्ती नहीं होगी। लोकसेवा आयोग के माध्यम से पद भरे जाएंगे। स्कूलों में बैकडोर नहीं, बल्कि पारदर्शिता से पद भरे जाएंगे। कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष एवं उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने 25 अप्रैल को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की मौजूदगी में सचिवालय में हुई बैठक में अस्थायी शिक्षक भरने का एलान किया था। कमेटी ने दुर्गम और दूरदराज के स्कूलों में दो से तीन साल के लिए या नियमित शिक्षकों की नियुक्ति होने तक के लिए स्टॉप गैप अरेंजमेंट के तहत इन अस्थायी शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव बनाया। उद्योग मंत्री ने कहा था कि पुरानी सरकारों की नीति से ये भर्तियां अलग होंंगी। उधर, 26 अप्रैल को प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय का इस बाबत तैयार प्रस्ताव भी सोशल मीडिया में वायरल हो गया। कमेटी की वीरवार को भी बैठक प्रस्तावित थी। इसमें अस्थायी शिक्षकों की भर्ती को मंजूर कर कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाना था, लेकिन नगर निगम शिमला के चुनाव प्रचार की व्यस्तता के चलते इस बैठक को आगामी आदेशों तक टाल दिया गया। बीते तीन दिनों के दौरान कैबिनेट सब कमेटी के निर्णय का प्रदेश भर में विरोध हुआ है। अग्निवीरों की तर्ज पर शिक्षा विभाग में शिक्षा वीर भर्ती की बातें सोशल मीडिया पर हुई। निगम चुनाव के मतदान से कुछ दिन पहले प्रदेश में शुरू इस विरोध को देखते हुए वीरवार को मुख्यमंत्री ने स्वयं इस मामले में स्पष्टीकरण दिया। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने 24 और 25 अप्रैल को सचिवालय में मीडिया से बातचीत में लोकसेवा आयोग की गति को धीमा बताया था। उन्होंने कहा था कि आयोग ने 2018 से जनवरी 2023 तक 2,375 पदों पर भर्ती की व 1,097 पदों पर पेंडिंग है। आयोग साल में औसतन 450 से 500 पदों पर ही भर्ती कर पाता है। विज्ञापन जारी होने, लिखित परीक्षा और इंटरव्यू करवाने में समय लगता है। मंत्री ने ही शिक्षा निदेशकों और उपनिदेशकों के माध्यम से अस्थायी शिक्षकों की भर्ती की बात कही थी। शिक्षकों की अस्थायी भर्तियों को लेकर बीते तीन दिनों से प्रदेश में जारी विरोध के बीच वीरवार को मुख्यमंत्री कार्यालय को वीडियो जारी करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने इसमें स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि सरकार कहीं भी अस्थायी भर्ती नहीं करने जा रही। मैंने आज सुबह समाचार पत्रों में पढ़ा कि सरकार शिक्षा निदेशक और उपनिदेशकों के माध्सम से भर्तियां करने जा रही है। किसी भी प्रकार की बैकडोर भर्ती की सरकार की मंशा नहीं है। कैबिनेट सब कमेटी से शिक्षकों के खाली पदों की जानकारी मांगी है। नियुक्तियां लोकसेवा आयोग के माध्यम से ही होंगी। भ्रम जाल फैलाया जा रहा है। सरकार की ऐसी कोई भी नीति नहीं है। खाली पड़े शिक्षकों के पद पारदर्शी तरीके से भरे जाएंगे।

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