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क्या बिंदल भांप चुके थे नगर निगम शिमला में भाजपा की हार, आखिर क्यों कही थी चुनाव से पूर्व यह बात

  • क्या बिंदल भांप चुके थे नगर निगम शिमला में भाजपा की हार, आखिर क्यों कही थी चुनाव से पूर्व यह बात

आपकी खबर ब्यूरो।

नगर निगम शिमला में चुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं आए हैं। या यूं कहे कि भाजपा का मिशन रिपीट यहां भी धरा का धरा रह गया है। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा आक्रामक मुद्रा में जरूर दिखे। सभी विधायकों एवं पूर्व विधायकों ने भी मोर्चा संभाल रखा था। प्रदेश में संस्थानों को डीनोटिफाई करने का मामला भी कुछ दिनों खूब सुर्खियों में रहा। भाजपा कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर रोष व्यक्त भी किया।

 

इतना ही नहीं शिमला में वार्डों की संख्या बढ़ाने को लेकर भी भाजपा ने खूब हल्ला बोला। पार्टी का तर्क था कि शहर में जो भी विकास कार्य हुए हैं वे भाजपा शासित नगर निगम ने किए हैं। शिमला के लिए अनेक योजनाएं लाई और इसे अमलीजामा भी पहनाया। चाहे शहर की सड़कों को चौड़ा करने की बात हो या फिर पार्किंग या पैदल चलने के लिए रास्तों का निर्माण हो।

 

उधर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी विधानसभा सत्र से लेकर सरकार के खिलाफ हर मोर्चे पर आक्रामक शैली में नजर आए। उनका कहना था कि कांग्रेस सरकार बदले की भावना से कार्य कर रही है।

 

उधर नगर निगम चुनाव की तिथि घोषित हो गई थी। प्रचार चल ही रहा था कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को इस्तीफा सौंप दिया। अब बात नए अध्यक्ष को चुनने की चल रही थी। पार्टी कार्यकर्ताओं को लग रहा था कि उन्हें भी पूछा जाएगा कि किसे प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। मीडिया में कई नाम उछल रहे थे। इसके बाद सभी अटकलों पर विराम लग गया।

 

इसी बीच दिल्ली से एक नाम पर मुहर लग गई। वो नाम था डॉ. राजीव बिंदल। बिंदल ने बिना समय गवाए नगर निगम चुनाव में जुट जाने की बात भी कही। इस दौरान उन्होंने एक ऐसी बात कहकर सभी को सोचने पर मजबूर किया।

 

उन्होंने कहा कि भले ही मुझे पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया हो, लेकिन नगर निगम का चुनाव पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। यह बात कार्यकर्ताओं के जहन में नहीं उतर पा रही थी। मंद स्वर में भाजपा कार्यकर्ता यही कह रहे थे कि अगर कश्यप के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ना था तो अध्यक्ष का चुनाव बाद में भी हो सकता था। ऐसे में अब यह बात सामने आ रही है कि क्या बिंदल को हार सामने दिख रही थी। बहरहाल अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी कार्यकर्ताओं को एकजुटता का परिचय देना होगा।

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