- OPS के लिए प्रदेश सरकार ने की एसओपी जारी, 60 दिनों के भीतर चुनना होगा NPS चाहिए या OPS
आपकी खबर, शिमला।
प्रदेश सरकार ने OPS को लागू करने के लिए SOP जारी की है। इस योजना को केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के रूप में भी जाना जाता है।
सरकार की ओर से जारी एसओपी के अनुसार जो कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली(एनपीएस) के तहत रहना चाहते हैं, वे इन निर्देशों के जारी होने के 60 दिनों के भीतर इसका विकल्प संबंधित कार्यालय प्रमुख को प्रस्तुत करेंगे।
ऐसे कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (जिसे अंशदायी पेंशन योजना के रूप में भी जाना जाता है) में कवर किया जाना जारी रहेगा। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत अंशदान (नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का हिस्सा) कर्मचारी की सेवानिवृत्ति तक पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण विनियमों के अनुसार जमा किया जाएगा।
इसी तरह पुरानी पेंशन योजना के तहत शामिल होने की इच्छा रखने वाले सरकारी कर्मचारियों को भी 60 दिनों के भीतर अनुलग्नक-दो में निर्धारित प्रारूप पर विकल्प देना होगा। ऐसे कर्मचारियों द्वारा अनुलग्नक-3 में निर्धारित प्रारूप पर एक अंडरटेकिंग भी प्रस्तुत करनी होगी।
अनुलग्नक-दो और अनुलग्नक-तीन के अनुसार ओपीएस का विकल्प और अंडरटेकिंग कार्यालय प्रमुख को देना होगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारी की ओर से नई व पुरानी पेंशन योजना के लिए दिया गया विकल्प अंतिम व अपरिवर्तनीय माना जाएगा। यदि कोई कर्मचारी निर्धारित अवधि के भीतर किसी विकल्प का इस्तेमाल करने में विफल रहता है तो यह माना जाएगा कि वह नई पेंशन योजना में जारी रहना चाहता है।
यह निर्णय लिया गया है कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) का विकल्प चुनने वाले राज्य सरकार के कर्मचारियों (अर्थात कर्मचारी और नियोक्ता का हिस्सा) का अंशदान एनपीएस के तहत जमा होता रहेगा। क्योंकि यदि किसी कर्मचारी ने अब एनपीएस का विकल्प चुना है, तो वह अपना हिस्सा जमा करने के लिए स्वतंत्र हो सकता है। ऐसे मामलों में सरकारी हिस्सा भी जमा किया जाएगा।
पुरानी पेंशन योजना का विकल्प चुनने वाले सरकारी कर्मचारियों को नियमों के तहत पेंशन लाभ का भुगतान किया जाएगा। बशर्ते कि सरकारी अंशदान और उस पर अर्जित लाभांश राज्य सरकार को जमा किया जाए।