- अपनों की सकुशल वापसी के इंतजार में वेदना संग कटी रात…
- समरहिल में भूस्खलन की चपेट में आये लोगों की तलाश जारी
- 10 से अधिक शव बरामद, कई लोग अभी भी मलबे की आगोश में
आपकी ख़बर, शिमला।
ये घर, ये संसार तभी अपना लगता है जब अपने साथ हों, परिवार खुशहाल हो। यानी जिंदगी तभी हसीन होती है जब खुशियों का आलम हो और खुशी पैसों से नहीं… अपनों के पास होने से बढ़ती है। जब अपने ही कहीं दूर चले जाएं तो ये घर और संसार तन्हा लगता है।
कुछ ऐसी ही तन्हाई झेल रहे हैं शिमला के कुछ लोग। बात बीते दिन की है जब समरहिल में भूस्खलन की चपेट में कई लोग आ गए थे। इसमें अधिकतर परिवार के सदस्य हैं जो मलबे में अभी भी दबे पड़े हैं। किसी के तो शव भी बरामद हो गए हैं लेकिन कई लोग अभी भी दबे हैं। उन दबे हुए लोगों की सांसे क्या चल रही होंगी..? ये सवाल प्रभावित परिवारजनों के ज़ेहन में काफी उछल कूद कर रहा है। शायद अभी भी उनकी सांसे चल रही होंगी और वो जरूर कह रहे होंगे कि अभी तो गुड़िया को पढ़ना लिखाना है, अरे अभी तो मुझे कॉलेज जाना है, मैं तो अपने बुजुर्ग माता-पिता का एक ही सहारा हूँ मुझे तो जीना है, अरे कोई तो निकालो हमें..!
मलबे में दबे अपनों के इंतजार में कई लोगों की रात वेदना के साथ बीती है। आज देश आजादी का जश्न मना रहा है। दूसरी ओर शिमला के समरहिल में हुए हादसे के पीड़ित रातभर इसी आस में रहे कि कहीं से तो लापता लोगों का सुराग मिले। घर में मोबाइल की घंटी बजते ही ऐसा महसूस हो रहा था मानो कोई कान में सुई चुभो रहा हो। रात ऐसे गुजरी जैसे मलबे में दबे लोग बस यही बोल रहे हो कि हमें बाहर निकाल दो हम जीना चाहते हैं।
समरहिल में भूस्खलन की चपेट में आये लोगों की तलाश अभी भी जारी है। 10 से अधिक शव बरामद कर दिए गए हैं तथा कई लोग अभी भी मलबे की आगोश में हैं। लापता हुए लोगों के सकुशल होने की कामना कर रहे हैं। बस भगवान से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि जहां भी हो सुरक्षित हो। मसीहा बन कर आए एनडीआरएफ की टीमें सुबह से मंंदिर परिसर में फिर से रेस्क्यू के कार्यों में जुट गई। लापता लोगों के परिजन भी टीम के साथ बस इसी आस में जुटे हैं कि कहीं से तो कोई सुराग मिले। भूखे प्यास तो मानो इनके लिए बीती बात हो गई हो। लोग भी दुवाएं कर रहे हैं कि जो भी लोग दबे हुए हैं बस किसी तरह सकुशल हों।