बढ़ेगा भू-जल स्तर, प्राकृतिक जल स्त्रोत होंगे रिचार्ज
पानी की समस्या का भी होगा समाधान
आपकी खबर, करसोग।
प्रदेश के भू-जल स्तर को बढ़ाने और गर्मियों में होने वाली पानी की कमी की समस्या के समाधान के दृष्टिगत सरकार द्वारा शुरू की गई महत्वकांक्षी अमृत सरोवर योजना का करसोग क्षेत्र में प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है। सूखते जल स्त्रोतों को संजीवनी देने का काम अब अमृत सरोवरों का निर्माण बखूबी करेगा। खंड विकास कार्यालय करसोग के माध्यम से संचालित की जाने वाली इस योजना के तहत संपूर्ण ब्लाॅक में एक दर्जन से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा रहा है। जिससे एक ओर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों को घर द्वार के समीप रोजगार के अवसर भी मिल रहे है।
योजना के अन्तर्गत करसोग की विभिन्न पंचायतों में 16 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। इनके निर्माण पर सरकार एक करोड़ तीन लाख रुपये की धनराशि व्यय कर रही है। क्षेत्र में कुल 2.16 एकड़ क्षेत्र में निर्मित किए जा रहे, इन अमृत सरोवरों में पानी भंडारण की कुल क्षमता लगभग 1.70 करोड़ लीटर है। जिससे करसोग क्षेत्र में भू-जल स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ सूखते प्राकृतिक जल स्त्रोतों को रिचार्ज कर उन्हें मूल स्वरूप में वापस लाने में मदद मिलेगी। करसोग उपमंडल क्षेत्र में बनने वाले इन अमृत सरोवरों के निर्मित किए जाने से विभिन्न पंचायतों में स्थानीय लोगों को घर द्वार के समीप रोजगार भी मिल रहा है। इसके अतिरिक्त इन सरोवरों के माध्यम से क्षेत्र के 80 से 90 गांव के किसानों को सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध हो रही है। अमृत सरोवरों का निर्माण 16 स्थानों पर किया जा रहा है। जिनमें श्री नाग धमूनी छाछली, कुर्ना, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला स्यांज बगड़ा के समीप, कुुफरीधार गांव, खमरला गांव, चरोग, गरिजनू, भनेरा, चकरांथ, डिबरी नाला, कुन्हू, स्यांज बगड़ा नाग धमूनी मंदिर के समीप, नागधार गांव, रोपड़ा नाला, दीवालीदड़, बेलू इत्यादी स्थान शामिल है।
अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य 6 स्थानों पर पूर्ण कर लिया गया है, इनमें श्री नाग धमूनी छाछली, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला स्यांज बगड़ा के समीप, खमरला गांव, स्यांज बगड़ा में ही नाग धमूनी मंदिर के समीप, दीवालीदड़, बेलू शामिल है। शेष सरोवरों का कार्य 90 प्रतिशत से अधिक पूर्ण कर लिया गया है। मंडी जिला में लगभग 75 अमृत सरोवर बनाए जाने है। जिनमें से 16 का निर्माण करसोग ब्लाॅक कार्यालय के माध्यम से किया जा रहा है। क्षेत्र के कुन्हू गांव में बनने वाला अमृत सरोवर सबसे बड़ा अमृत सरोवर है। इसके निर्माण पर 25 लाख रुपये व्यय किए जा रहे है। सरोवर को 0.50 एकड़ क्षेत्र में बनाया जा रहा है। इस सरोवर की पानी भंडारण की क्षमता लगभग 5 हजार करोड़ लीटर से अधिक है। अमृत सरोवरों को बनाने का मूल उद्देश्य किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाकर अनाज के उत्पादन को बढ़ाना, जमीन के अंदर कम होते भू-जल स्तर को बनाए रखना और सूखते प्राकृतिक जल स्त्रोतों को रिचार्ज कर उन्हें मूल स्वरूप में वापस लाना, जीव जंतुओं को पर्याप्त पानी उपलब्ध करवाना, ग्रामीण क्षेत्रों में अमृत सरोवरों के आस-पास के क्षेत्रों का सौंदर्यकरण कर, उन्हें विकसित करना और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाना आदि शामिल है। वर्षा जल का अपवाह अत्यधिक होने से अधिकांश जल बहकर नदी-नालों में चला जाता है। पानी के साथ-साथ मृदा कटाव भी होता है, जिससे उपजाऊ भूमि की उर्वरता कम होती है। लेकिन इस तरह के अमृत सरोवरों का निर्माण किए जाने से वर्षा जल को अधिक से अधिक मात्रा में संग्रहित किया जा सकता है। जिससे अधिकाधिक क्षेत्र की सिंचाई करते हुए किसानों व बागवानों द्वारा अधिक उत्पादन भी प्राप्त किया जा सकता है। भू-जल स्तर को बढ़ाने और पानी की कमी की समस्या के समाधान के दृष्टिगत यह सरोवर बनाए जा रहे है। इनके निर्माण पर लगभग एक करोड़ रुपये से अधिक व्यय किए जा रहे है। इनके पानी भंडारण की कुल क्षमता लगभग 1.70 करोड़ लीटर है। इससे सूखते प्राकृतिक जल स्त्रोतों को रिचार्ज कर उन्हें मूल स्वरूप में वापस लाने में मदद मिलेगी तथा सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध होगी।