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हिमाचल का गौरव बनी पांगणा की अंजना ठाकुर

  • हिमाचल का गौरव बनी पांगणा की अंजना ठाकुर

 

आपकी खबर, करसोग। 5 अक्तूबर

रूस लेखक बोरिस पोलेवेई का प्रसिद्ध उपन्यास है असली इंसान। एक रूसी पायलट अलैक्सेई मारेसेयेव का जहाज लड़ाई में दुर्घटनाग्रस्त होकर ग्लैसियरों में गिर जाता है। उसके पायलट को अपने दोनों पांव इस दुर्घटना में गंवाने पड़ते है। हस्पताल में इलाज के दौरान उसका एक ही सपना होता है उसको दोबारा जहाज उड़ाना है। और एक दिन वह अपने नकली पांव लगवा कर फिर लड़ाकू जहाज उड़ाता है।

ऐसी ही कहानी है पांगणा गांव की अंजना ठाकुर की। जब वह करसोग कालेज में बीएससी की पढ़ाई कर रही थी तो 2016 में एक करंट दुर्घटना के अंदर उसका एक हाथ चला गया। यह वही हाथ था जिससे वह लिखती थी। लेकिन अंजना हार मानने वालों में से नहीं थी। पूरी उम्र उनके सामने पड़ी थी और इस चुनौती को एक योद्धा की तरह अंजना ने स्वीकार किया।

शिमला, चंडीगढ़ इलाज के बाद उसने अपने दूसरे हाथ से लिखना सीखा, पढ़ाई दोबारा शुरू की और बीते बुधवार को अंजना ठाकुर बॉटनी विभाग में एसीसटेंट प्रोफेसर बन गयी है। पांगणा तहसील के छोटे से गांव की अंजना ठाकुर ने पूरे पांगणावासियों को खुशियों से सरोबार कर दिया है। उनके घर में बधाई देने वालों का तांता लग गया है।

बुधवार को राज्य लोक सेवा आयोग ने उसका चयन कॉलेज कैडर में बॉटनी की असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर किया है। फिलहाल वे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही हैं। अंजना ठाकुर की यह उपलब्धी आम उपलब्धी नहीं है। उसने अपने छात्र जीवन में कई किर्तीमान स्थापित किये हैं। गांव के परिवेश से निकल कर उसने पहले जेआरएफ की परिक्षा पास की तो फिर इंडियन साईंस कांग्रेस तक का सफर तय किया।

जनवरी 2020 में अंजना ने सेट पास करने के बाद पहले ही प्रयास में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर की कठिन परीक्षा उत्तीर्ण कर जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) में अपनी जगह बना ली थी। इसके बाद उसने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यलय के बाटनिकल साईंस विभाग के पीएचडी में दाखिला लिया। वर्ष 2023 जनवरी में इंडियन साइंस कांग्रेस (Indian Science Congress) के नागपुर अधिवेशन में जब अंजना ने शिमला चैप्टर का प्रतिनिधित्व किया तो इजराइली नोबेल पुरस्कार विजेता डॉक्टर अडा योनथ भी उसकी तारीफ करने से अपने आप को नहीं रोक पाए।

दिव्यांग शोध छात्रा अंजना ठाकुर ने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी को उनके साथ सांझा किया था। उन्होंने वैज्ञानिक बनकर दिव्यांग महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करने के सपने और उमंग फाउंडेशन के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों के लिए अपने योगदान के बारे में भी बताया।

डॉ. अडा योनथ ने अंजना एवं हिमाचल की अन्य प्रतिभागियों के जज़्बे की प्रशंसा की। अंजना ने प्राथमिक शिक्षा पांगणा से की वहीं बीएससी उसने करसोग राजकीय महाविद्यालय से पूरी की। एमएससी के लिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का रुख किया। और अब यहीं वह पीएचडी की शोधछात्रा है। इस पूरे संघर्ष में उनका परिवार और खासकर उसका भाई गंगेश उसके साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़ा रहा। 12वीं के बाद सामाजिक दबाव के चलते परिवार उनकी शादी कर देना चाहता था। लेकिन अंजना नहीं झुकी और आगे पढ़ाई जारी रखी। करसोग कालेज में दाखिला लिया। दुर्घटना के बाद फिर समस्या आन खड़ी हुई। भाई गंगेश आगे आया अंजना की पढ़ाई के लिए उसने अपनी पढ़ी छोड़ कर अंजना की जारी रखवाई। मां चिंता देवी और पिता हंसराज ठाकुर अपनी बेटी की उपलब्धियों पर फुले नहीं समा रहे हैं। उनका कहना है कि हमें अंजना की मेहनत पर हमेशा भरोसा रहा है। समय समय पर बहुत सारे अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, संस्थाओं ने उनका मार्गदर्शन किया है। अंजना की उपलब्धी सभी की उपलब्धी है।

पद्मश्री नेक राम शर्मा, सुकेत सांस्कृति मृमज्ञ जगदीश शर्मा, इतिहासकार हिमेंद्र बाली, पांगणा व्यापार मंडल के सुमित गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता श्याम सिंह चौहान, नगरपंचायत करसोग के उप सभापति बंसी लाल कौंडल, लेखक गगनदीप सिंह,सीनिया, संजय ठाकुर प्रधानाचार्य व अध्यापक प्राध्यापक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पांगणा,बसंत लाल प्रधान, सुरेश शर्मा व सदस्य ग्राम पंचायत पांगणा,जिला परिषद सदस्य चेतन गुलेरिया ,सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ के डी पी शर्मा आदि ने परिवार और अंजना को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि यह पांगणा ही नहीं पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए गौरव की बात है। अंजना ठाकुर तमाम छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा की स्रोत है।

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