- करवाचौथ : क्या है पूजा का सही समय और कब निकलेगा चांद
आपकी खबर, ब्यूरो। 1 नवंबर
आज सुहागिनों का पर्व करवाचौथ मनाया जा रहा है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है। दिन भर व्रत रखकर रात को चांद देखकर व्रत तोड़ती है। ज्योतिष की माने तो करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा जाता है। इस व्रत में दिनभर निर्जला व्रत और शाम को चंद्रमा के दर्शन कर अर्ध्य देने का खास महत्व होता है। इस व्रत में चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद ही पारण किया जाता है। इसके बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है। इस बार करवा चौथ बहुत ही शुभ है।
शिमला में 8 बजकर 7 मिनट पर चांद का दीदार होगा। इसके बाद सुहागिनें अपना व्रत तोड़ सकती हैं। राजधानी की बात करें तो इस दिन शिमला के रिज मैदान पर काफी संख्या में सुहागिनें एक साथ चांद का दीदार करती हैं।
- जरूर करें इस विधि से पूजा
पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:34 मिनट से 6: 40 मिनट तक बताया जा रहा है।
दीये की रोशनी का करवा चौथ में विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी पर सूर्य का बदला हुआ रूप अग्नि माना जाता है। माना यह भी जाता है कि अग्नि को साक्षी मानकर की गई पूजा सफल होती है। ज्ञान प्राप्त होने से नम से अज्ञानता रूपी सभी विकार दूर होते हैं। दीपक नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर भगाता है। छननी की बात करें तो ज्यादातर महिलाएं दिन के अंत में पहले छननी से चंद्रमा को देखकर और फिर तुरंत अपने पति को देखकर अपना व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ में सुनाई जाने वाली वीरवती की कथा से जुड़ा हुआ है। बहन वीरवती को भूखा देख उसके भाइयों ने चांद निकलने से पहले एक पेड़ की आड़ में छननी में दीप रखकर चांद बनाया और बहन का व्रत खुलवाया।
16 श्रृंगार क्यों करें, क्या है महत्व
करवा चौथ पर विवाहित महिलाओं को 16 श्रृंगार जरूर करना चाहिए। साथ ही हाथों में मेहंदी भी लगानी चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि जो सुहागिन महिलाएं करवाचौथ पर 16 श्रृंगार करते हुए चौथ माता या करवा माता की पूजा अर्चना करती हैं उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
लाल रंग सुहाग की निशानी होती है। इसलिए करवाचौथ के दिन लाल रंग के कपड़े अवश्य पहनने चाहिए।
करवा चौथ पर पूजा, कथा, आरती ,चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही पति के हाथों से पानी पीकर व्रत तोड़ना चाहिए।
इसके अलावा शाम के समय पुनः स्नान के बाद जिस स्थान पर आप करवा चौथ का पूजन करने वाले हैं, वहां गेहूं से फलक बनाएं और उसके बाद चावल पीस कर करवा की तस्वीर बनाएं। इसके बाद आठ पूरियों की अठवारी बनाकर उसके साथ हलवा या खीर बनाएं और पका हुआ भोजन तैयार करें।
इस पावन दिन शिव परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में पीले रंग की मिट्टी से गौरी जी की मूर्ति का निर्माण करें और साथ ही उनकी गोद में गणेश जी को विराजमान कराएं। अब मां गौरी को चौकी पर स्थापित करें और लाल रंग कि चुनरी ओढ़ा कर उन्हें शृंगार का सामान अर्पित करें।
मां गौरी के सामने जल से भरा कलश रखें और साथ ही टोंटीदार करवा भी रखें, जिससे चंद्रमा को अर्घ्य दिया जा सके। इसके बाद विधि पूर्वक गणेश गौरी की विधिपूर्वक पूजा करें और करवा चौथ की कथा सुनें। कथा सुनने से पूर्व करवे पर रोली से एक सतिया बनाएं और करवे पर रोली से 13 बिंदिया लगाएं। कथा सुनते समय हाथ पर गेहूं या चावल के 13 दाने लेकर कथा सुनें।
“आपकी खबर” परिवार की ओर से सभी सुहागिनों को करवाचौथ की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं