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स्वास्थ्य देखभाल के लिए व्यापक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में मानवीय मूल्यों की भूमिका पर जोर

  • स्वास्थ्य देखभाल के लिए व्यापक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में मानवीय मूल्यों की भूमिका पर जोर

आपकी खबर, शिमला। 15 जुलाई।

प्रतिरोधक और उपचारात्मक चिकित्सा दोनों में, वर्तमान प्रवृत्ति एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की है, जो उपचार प्रक्रिया में मन तथा शरीर के संबंध के महत्व पर बल देती है। इस पर प्रकाश डालते हुए, भारत सोका गाक्काई (बीएसजी) ने चौथे बीएसजी ऑल इंडिया हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स सेमिनार,” दवाई से परे: संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आंतरिक कल्याण का संवर्धन” का आयोजन किया। सेमिनार में कल्याण की वर्तमान धारणा पर ध्यान केंद्रित किया गया और स्वास्थ्य देखभाल के लिए व्यापक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में मानवीय मूल्यों की भूमिका पर जोर दिया गया।

तीन प्रतिष्ठित वक्ताओं ने इस गोष्ठी में भाग लिया । डॉ. मैथ्यूवर्गीस, सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक्स के प्रमुख तथा सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल के पूर्व निदेशक, सुजय संत्रा, आई क्योर टेक सॉफ्ट के संस्थापक और सीईओ, और डॉ. परवीन भाटिया, वरिष्ठ सलाह कार, सर्जन सर गंगा राम अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक बेरिएट्रिक सर्जरी। उन्होंने समग्र स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला, जिसमें चिकित्सा पद्धति में करुणा, सहानुभूति, स्वायत्तता के लिए सम्मान और सार्थक संबंधों के एकीकरण पर जोर दिया गया।

अपने उद्घाटन भाषण में, बीएसजी राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रभारी, सुश्री जया राव ने स्वास्थ्य सेवा के लिए अधिक मानवतावादी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए भारत सोका गाक्काई की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

डॉ. मैथ्यूवर्गीस ने इस मुद्दे को संबोधित करते हुए टिप्पणी की, “आधुनिक चिकित्सा पद्धति अपेक्षाकृत एक नया विज्ञान है। जैविक प्रणालियों और सेलुलर क्रियाकलापों के बारे में हमारी समझ, चाहे कितनी भी उन्नत क्यों न हो, अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है। वैज्ञानिक ज्ञान और कंप्यूटिंग में तेजी से प्रगति हुई है जिस कारण इन प्रणालियों और प्रक्रियाओं के विकास में जो प्रगति आयी है वो एक दशक पहले अकल्पनीय थीं, हालाँकि, 4.5 मिलियन वर्षों के विकास के बावजूद, एक व्यक्ति और एक सामाजिक प्रणाली के रूप में मनुष्य कहाँ है? विकास वादी जीव वैज्ञानिक होमो सेपियन्स के विकास के बारे में बात करते हैं, लेकिन क्या हम विकसित हुए हैं? हमारा वर्तमान व्यवहार मानव जाति के भविष्य को क्या आकार दे रहा है?”

अंतिम छोर तक पहुंचने की आवश्यकता पर बल देते हुए, सुजय संत्रा ने कहा, “भारत सोका गाक्काईअथक रूप से शांति, संस्कृति और शिक्षा को बढ़ावा दे रही है, जबकि I Kure नवाचार और आर्टीफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा की पहुंच और परिणामों में क्रांतिकारी बदलाव लाने, समुदायों को सशक्त बनाने के लिए मिशन रत है ताकि कोई भी व्यक्ति इससे वंचित न रहे।” आंतरिक शांति बाह्य स्वास्थ्य को मजबूत बनती है , आइए हम सब एक साथ मिलकर एक ऐसे भविष्य का निर्माण करें जहां कल्याण की भावना शारीरिक स्वास्थ्य से ऊपर हो; जहाँ मन और मस्तिस्क का समावेश हो , कुछ ऐसी स्वास्थ्य सेवाओं का निर्माण करें ।
डॉ. परवीन भाटिया ने रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के महत्व पर चर्चा करते हुए एक और आयाम जोड़ा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यदि रोबोटिक सर्जरी और अन्य नवाचारों को आंतरिक कल्याण और समग्र स्वास्थ्य पर ध्यान देने के साथ जोड़ दिया जाए , तो रोगी का इलाज कहीं और अधिक बेहतर होगा ।
अपने समापन भाषण में, बीएसजी के अध्यक्ष श्री विशेष गुप्ता ने कहा, मानवीय मूल्यों को विकसित करने से हमारे भीतर जीवन शक्ति मजबूत होती है, जो बीमारी से लड़ने में मदद करती है तथा पूर्ण रूप से स्वस्थ् बनती है ।
सेमिनार का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा से जुड़े सभी कर्मियों में अपने और अपने रोगियों के भीतर आंतरिक कल्याण की भावना उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करना था। मानवीय मूल्यों को अपनाने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली प्रथाओं को शामिल कर, हम एक अधिक रोगी केंद्रित एवं टिकाऊ स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण कर सकते है ।

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