हिमाचल

राजकीय महाविद्यालय बंजार अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 13-14 अगस्त को, अमरजीत सिंह होंगे मुख्य अतिथि

देश-विदेश से आए 65 प्रतिभागी देंगे वक्तव्य

आपकी खबर, कुल्लू, 10 अगस्त।

राजकीय महाविद्यालय बंजार में आगामी 13-14 अगस्त को ‘आइडेंटिटी कल्चर डिवेलपमेंट एंड इन्वाइरनमेंट इन हिमाल्याज़ : चलेंजिज़ एंड फ्यूचर परस्पेक्ट्ज़’ विषय पर आधारित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा।

यह आयोजन में बतौर मुख्य-अतिथि हिमाचल प्रदेश के उच्च शिक्षा निदेशक, डॉ. अमरजीत के. शर्मा सम्मिलित होंगे जबकि महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रेणुका थपलियाल कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगी। इसके अतिरिक्त विशेष अतिथि के रूप में डॉ. हरीश कुमार (अतिरिक्त निदेशक, उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला) और डॉ. गोपाल कृष्ण संघईक (ओएसडी कॉलेज सह राज्य नोडल अधिकारी, उच्च शिक्षा निदेशालय हिमाचल प्रदेश) अपनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराएंगे। इस सम्मेलन के संयोजक डॉ. सुरेन्द्र सिंह (सहायक प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान) होंगे।

महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रेणुका थपलियाल ने जानकारी दी कि इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 5 विभिन्न देशों; भारत के आठ राज्यों और हिमाचल प्रदेश के 7 जिलों से 65 प्रतिभागी विद्वान अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे।

रेणुका थपलीयाल ने बताया कि मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. जे. सी. कुनियाल (वैज्ञानिक एवं प्रमुख, पर्यावरण आकलन एवं जलवायु परिवर्तन केंद्र, जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा, उत्तराखंड) और मानद फेलो, बाथ स्पा यूनिवर्सिटी, लंदन, अपने विचार साझा करेंगे। आमंत्रित वक्ताओं में डॉ. स्वागता वासु, डॉ. प्रिय रंजन, डॉ. जितेंद्र डी. सोनी, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. पवन कुमार, डॉ. कृष्णा प्रसाद भंडारी, डॉ. रुचि रमेश और डॉ. दीप्तिमयी नायक अपने वक्तव्य देंगे।

उन्होंने बताया कि इस आयोजन को लेकर डॉ. श्रवण कुमार (सहायक प्रोफेसर, अर्थशास्त्र) के सचिव जबकि सह संयोजक डॉ. योग राज (सहायक प्रोफेसर, लोक प्रशासन) के साथ श्री टीकम राम (सहायक प्रोफेसर, इतिहास), सन्नी नेगी (प्राचार्य, जीसी गाडागुसैन) और श्री दीप कुमार (प्राचार्य, जीसी थाची) अपना बहुमूल्य सहयोग देंगे। इसके अलावा तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता डॉ. कंचन चंदन, डॉ. मीना कुमारी, डॉ. निर्मला चौहान, डॉ. जागृति उपाध्याय, डॉ. दिनेश सिंह और डॉ. लीना वैद्य करेंगे।

उन्होंने बताया कि यह सम्मेलन हिमालयी क्षेत्र की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान और भविष्य के संभावित परिप्रेक्ष्यों पर गहन विमर्श का सुअवसर प्रदान करेगा। उन्होंने संस्कृति एवं पर्यावरण प्रेमियों से इस सम्मेलन में भाग लेने की अपील की है।

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