गौ सेवा के जुनून ने दिलाया ब्रीड सेवियर अवार्ड
आपकी खबर, शिमला।
अपने जहन में गौ सेवा का जुनून लिए समाज में फैली कुरीति को दूर करने के जज्बे ने आज इस मुकाम तक पहुंचा दिया है। पेशे से एक निजी बैंक में नौकरी कर रहे नरेश चौहान को गौ सेवा का जुनून सिर चढ़कर बोल रहा है। वे दिन रात इन्हीं की सेवा में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं।
शिमला ग्रामीण के कोहबाग में जन्मे नरेश चौहान का बचपन पशुओं के साथ गुजरा। बचपन से ही घर में पशुओं की सेवा करते थे। उनका गोबर उठाते। उन्हें नहलाते और जंगल में चराते।
चौहान ने जब होश संभाला तो उनकी नजर लावारिस गायों पर पड़ी। जो धूप और सर्दी में या तो सड़क पर अपना आशीयां बना लेती थी या फिर किसी वर्षा शालिका को। कई बार तो सड़क दुर्घटना का शिकार भी हो जाती थी। ऐसे में उन्होंने बीड़ा उठाया कि लावारिस पहाड़ी गायों को आश्रय देंगे। इसी के चलते उन्हें ब्रीड सेवियर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
“आपकी खबर” से नरेश चौहान ने अपनी बात साझा की।
नरेश चौहान ने बताया कि पांच वर्ष की आयु से ही हम पहाड़ी गाय के सानिध्य में ही पले-बढ़े हैं। गऊओं को चराना, गोबर उठाना व उनकी सेवा करना हमारी दिनचर्या बन गई थी। वर्ष 2008 में स्व. राजीव दीक्षित के व्याख्यान में शुद्ध पहाड़ी गाय की उपयोगिता के बारे में सुना। उस दिन से ही निर्णय लिया कि मेरे जीवन का मूल उद्देश्य गौ सेवा ही है। तब से पूरे भारत भ्रमण करते हुए बहुत से प्रशिक्षण लिए। इसके बाद सिलसिला यहीं नहीं रुका। प्रशिक्षण लेने के बाद जागरुकता शिविर लगाना शुरू कर दिया।
शिमला ग्रामीण के कोहबाग क्षेत्र से संबंध रखने वाले नरेश चौहान हिमाचल में पहाड़ी गाय पालने की अलख युवाओं में जगा रहे हैं। नरेश चौहान वर्तमान में हिमाचल प्रांत के गौ सेवा प्रशिक्षण प्रमुख का दायित्व देख रहे हैं। साथ ही शुद्ध पहाड़ी गाय के लिए कार्य भी कर रहे हैं। इन्हें हिमाचल में पहाड़ी गौवंश को चलाने के लिए ब्रीड सेवियर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा
चुनौतियां बहुत हैं। इनमें से एक तो पहाड़ी गाय, नंदी शुद्ध मिलना बहुत ही मुश्किल है जो है भी वो खराब हो गई है और जर्सी आदि से मिक्स हो गई है।
सरकार से उम्मीद
सरकार से हमने प्रयास किया कि कुछ हमें आर्थिक सहायता मुहैया कराएं। बावजूद इसके अभी तक एक भी पैसा सरकार की ओर से नहीं मिल पाए है।
लोगों को क्या सुझाव देना चाहते हैं
यदि किसी के पास काले रंग की शुद्ध पहाड़ी गाय है तो उसे दूसरी नस्लों का टीका न लगाएं। उसे पहाड़ी नंदी से क्रॉस करें।
युवाओं से आग्रह
युवाओं से आग्रह है कि गौ सेवा के क्षेत्र को अपना व्यवसाय बनाएं। आप नौकरी करने से कई गुणा ज्यादा इस क्षेत्र में अपना काम करके पैसा कमा सकते हैं।