Wednesday, April 24, 2024

एसजेवीएन ने 382 मेगावाट सुन्नी बांध जलविद्युत परियोजना के लिए ईपीसी कांट्रेक्‍ट पर हस्ताक्षर किए

  • एसजेवीएन ने 382 मेगावाट सुन्नी बांध जलविद्युत परियोजना के लिए ईपीसी कांट्रेक्‍ट पर हस्ताक्षर किए

 

आपकी खबर, शिमला। 

एसजेवीएन के अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्‍द लाल शर्मा की उपस्थिति में वीरवार को 382 मेगावाट सुन्नी बांध जलविद्युत परियोजना के सिविल एवं हाइड्रो-मैकेनिकल संकार्य संबंधी इंजीनियरिंग, प्रापण एवं निर्माण हेतु ईपीसी कांट्रेक्‍ट पर हस्ताक्षर किए गए। मैसर्स ऋत्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद के साथ 1098 करोड़ रुपए हेतु कांट्रेक्‍ट पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

 

 

नन्‍द लाल शर्मा ने अवगत करवाया कि सिविल एवं हाइड्रो-मैकेनिकल संबंधी संकार्यों के लिए अवार्ड पत्र बीते 14 जनवरी को जारी किया गया था। आज सभी पूर्व अपेक्षाओं को पूर्ण करने के उपरांत उसी की तर्ज पर कांट्रेक्‍ट निष्पादित किया गया है।

 

 

 

नन्‍द लाल शर्मा ने इस बात पर बल दिया कि परियोजना के विभिन्न सिविल घटकों संबंधी निर्माणकारी गतिविधियां पूरे जोरों से चल रही हैं। परियोजना को समय पर निष्पादित करने संबंधी सुविधा के लिए अवसंरचनात्‍मक विकास एवं परियोजना स्थल पर प्रमुख कांट्रेक्‍टर का मोबीलाइजेशन पूर्ण गति पर है। यह परियोजना 58 माह के भीतर अर्थात् नवंबर, 2027 तक कमीशन की जानी है।

 

कांट्रेक्‍ट पर एस.के. भार्गव, महाप्रबंधक (एसजेवीएन) और वी. प्रवीण, उप महाप्रबंधक (मैसर्स ऋत्विक प्राइवेट लिमिटेड) द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर गीता कपूर, निदेशक (कार्मिक), ए.के. सिंह, निदेशक (वित्त), सुशील शर्मा, निदेशक (विद्युत) और एसजेवीएन तथा मैसर्स ऋत्विक प्रा. लिमिटेड के वरिष्‍ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

 

382 मेगावाट सुन्नी बांध परियोजना सतलुज नदी पर हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला एवं मंडी में स्थित एक रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है। परियोजना 3.90 रुपए प्रति यूनिट के लेवेलाईज्‍ड टैरिफ पर प्रतिवर्ष 1382 मिलियन यूनिट का विद्युत उत्पादन करेगी और कार्बन उत्सर्जन में प्रतिवर्ष 1.1 मिलियन टन की कमी करेगी ।

 

कमीशनिंग के पश्‍चात् यह परियोजना उत्पादित विदयुत का 13% हिमाचल प्रदेश सरकार को नि:शुल्‍क देगी, जिसमें स्थानीय क्षेत्र विकास निधि का एक प्रतिशत सम्मिलित होगा । परियोजना के 40 वर्ष के जीवन चक्र के लिए, यह नि:शुल्‍क बिजली हिमाचल प्रदेश को 2803 करोड़ रुपए के आय के रूप में परिवर्तित होगी।

 

परियोजना के विकास से सामुदायिक परिसंपत्ति सृजन एवं अवसंरचनात्‍मक विकास होगा। परियोजना निर्माणकारी गतिविधियों के फलस्वरूप लगभग 4000 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर सृजित किए जांएगे। यह परियोजना हिमाचल प्रदेश राज्य का समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायक होगी।

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