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जिल्लत झेल रहे हैं हिमाचल के ब्यूरोक्रेट, अधिकारी जाना चाहते हैं प्रदेश से बाहर : जयराम ठाकुर

  • जिल्लत झेल रहे हैं हिमाचल के ब्यूरोक्रेट, अधिकारी जाना चाहते हैं प्रदेश से बाहर : जयराम ठाकुर

 

आपकी खबर, शिमला। 

 

नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में ऐसी कार्य संस्कृति विकसित की जा रही है, जिसमें कोई भी अधिकारी काम नहीं करना चाह रहा है। ज़्यादातर अधिकारी केंद्र में जाना चाहते हैं। कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इसके लिए प्रयास करना भी शुरू कर दिया है। वरिष्ठ अधिकारी जो प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका निभाते हैं, वह आज के वर्तमान हालात से त्रस्त हैं और हिमाचल में अपनी सेवाएं नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी ऐसा सामान्य परिस्थिति में नहीं करते हैं कि वह प्रदेश छोड़कर जाना चाहें। जिस तरह के हालात वर्तमान में बन रहे हैं, यह दु:खद है।

 

सरकार में कुछ भी ठीक नहीं हैं, नेताओं के आपसी बातचीत और आरोप-प्रत्यारोप से यह बात साफ़ हो चुकी है। आये दिन सरकार में बैठे लोग अपनी सरकार पर ही हमला कर रहे हैं। एक-दूसरे के ख़िलाफ़ बातें कर रहे हैं। इस तरह के हालात में अधिकारियों को भी ज़लालत झेलनी पड़ रही है। इसलिए ब्यूरोक्रेसी के वरिष्ठ अधिकारी इस तरह का कदम उठाना चाह रहे हैं।

 

उन्होंने कहा कि यह नई तरह का व्यवस्था परिवर्तन है। जहां पर कार्य संस्कृति को इतना ख़राब कर दिया गया है कि कोई अधिकारी यहां काम ही नहीं करना चाहता है। इस तरह का व्यवस्था परिवर्तन आज तक किसी ने नहीं देखा होगा।

 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऐसे हालात प्रदेश के लिए हितकर नहीं हो सकते हैं। सरकार को इस बारे में सूचना होगा। पार्टी और सरकार में चल रही आपसी खींचतान का असर प्रदेश के विकास कार्यों पर नहीं पड़ना चाहिए।

 

इस प्राकृतिक आपदा में सरकार को आपस में और ब्यूरोक्रेसी में सामंजस्य स्थापित करके काम करना चाहिए, जिससे आपदा प्रभावितों की मदद हो सके और वह इस आपदा के प्रभाव से बाहर आ सकें। भारी बारिश और बाढ़ से प्रदेश के लोग परेशान हैं, मौसम विभाग ने आगे भी मौसम ख़राब रहने की चेतावनी दी है। इसलिए बेहतर है कि सरकार इस बात पर ध्यान दे कि आगे होने वाली बरसात से किसी प्रकार के नुक़सान न हो पाए और आपदा प्रभावितों की किस प्रकार मदद हो पाए।

 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी भी तंत्र का एक अंग है, उसके बिना व्यवस्था सुचारू रूप से चल नहीं सकती है। ब्यूरोक्रेसी को सरकार में बैठे लोग विकास कार्यों को करने के निर्देश देते हैं, आवश्यकता पड़ने पर सलाह लेते हैं, लेकिन यहां पर खुलेआम धमकियां दे रहे हैं। अधिकारियों के ख़िलाफ़ मीडिया में बयान रहे हैं। ऐसे सरकार नहीं चलती हैं। जनहित के कामों के लिए सामंजस्य बनाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार आपदा प्रभावितों के राहत कार्यों पर ध्यान दे।

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