शिमला

शिवालिक नर्सिंग कॉलेज की 135 छात्राओं ने ली अंगदान की शपथ

  • शिवालिक नर्सिंग कॉलेज की 135 छात्राओं ने ली अंगदान की शपथ
  • अंगदान महोत्सव 2023 के तहत सोटो ने आयोजित किया कार्यक्रम

 

आपकी खबर, शिमला। 

 

शिमला के भट्ठाकुफ्ऱ स्थित शिवालिक इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग में सोमवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) हिमाचल प्रदेश की ओर से अंगदान पर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया । इसमें कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ शमा लोहमी विशेष रूप से उपस्थित रहीं । इस मौके पर बीएससी नर्सिंग की करीब 135 छात्राओं ने अंगदान करने की शपथ ली। कार्यक्रम में सोटो के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश कुमार ने नर्सिंग की छात्राओं को ऑर्गन डोनेशन के बारे में जागरूक किया।

उन्होंने बताया कि लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान करके जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं। ब्रेन डेड होने की स्थिति में सभी अंगों को सुरक्षित निकालकर जरूरतमंद मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि साल 1954 में देश में पहली बार ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया गया था। अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकता है।

उन्होंने बताया कि किसी भी जाति धर्म समुदाय का व्यक्ति अंगदान कर सकता है, इसे किसी भी आयु में दान किया जा सकता है। जीवित रहते हुए पंजीकरण करवाया जा सकता है ताकि मृत्यु के बाद अंग दान किया जा सके। हमारे देश में लोगों में जागरूकता ना होने के कारण अंग दान करने से कतराते हैं, लोगों की इसी भावना को दूर किया जाना जरूरी है। देश में अंगदान की कमी की वजह से ही अंग तस्करी बढ़ रही है क्योंकि लोगों को अब नहीं मिलते हैं तो ऐसे में लोग तस्करों की सहायता लेते हैं।

हृदय को 4 से 6 घंटे, फेफड़े को 4 से 8 घंटे, इंटेस्टाइन को 6 से 10 घंटे, यकृत को 12 से 15 घंटे, पेनक्रियाज को 12 से 14 घंटे और किडनी को 24 से 48 घंटे के अंतराल में जीवित व्यक्ति के शरीर में स्थानांतरित किया जा सकता है।

गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों और दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के ब्रेन डेड होने के बाद यह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। अस्पताल में मरीज को निगरानी में रखा जाता है और विशेष कमेटी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करती है। मृतक के अंग लेने के लिए पारिवारिक जनों की सहमति बेहद जरूरी रहती है।

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