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मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने किया ‘संगीत सारंग’ पुस्तक का विमोचन

  • मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने किया ‘संगीत सारंग’ पुस्तक का विमोचन

 

आपकी खबर, शिमला। 16 सितंबर, 2023

 

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘संगीत सारंग’ पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक डॉ. संतोष कुमार और डॉ. सुनील कुमार ने लिखी है। इस दौरान आचार्य परमानंद बंसल प्रोफेसर संगीत विभाग हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

संगीत – सारंग” पुस्तक का प्रथम संस्करण संगीत जगत में विद्यमान विद्यार्थियों की प्रतिस्पर्धात्मक गतिविधियों को जहन में रखते हुए प्रस्तुत की जा रही है। वर्तमान समय में संगीत विषय की प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी के लिए उत्तम पुस्तकों का अभाव होने के कारण इस पुस्तक को लिखा गया है।

“संगीत – सारंग” में स्नातक (BA) स्नातकोत्तर (MA) की प्रवेश परीक्षा, दर्शन निष्णात् (M.Phil) विद्यावाचपति (PhD) NTA NET, JRF, H.P.SET, KVS, NVS, आदि परिक्षाओं के अनुसार पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। पुस्तक में एक पंक्ति में प्रश्नोत्तरी का प्रारुप प्रस्तुत किया गया है। इसके अतिरिक्त 2012 से लेकर 2022 तक के संगीत विषय के प्रश्न पत्र हल करके प्रस्तुत किए गए हैं।

 

” संगीत- सारंग” एक ऐसी पुस्तक है, जिसे पढ़ लेने से विद्यार्थियों को प्रतियोगी परिक्षाएं उत्तीण करने में आसानी होगी तथा अधिक से अधिक सहायता मिलेगी। इस पुस्तक की रचना में मुख्यतः इस बात का ध्यान रखा गया है कि प्रत्येक विषय एवं शीर्षक संयोजित रुप में उपलब्ध हो सके।

 

यदि पुस्तक में पाठकों को किसी प्रकार की त्रुटि नजर आती है, तो आपके सुझाव आमंत्रित है, ताकि अगले संस्करण में इन त्रुटियों का निवारण किया जा सके।

जैसा कि कहा जाता है परिवर्तन और संशोधन कभी समाप्त नहीं होते, समय-समय पर परिवर्तन और संशोधन होते रहते हैं। कालचक्र की तरह इनका पहिया निरंतर गतिशील रहता है, यही कला एवं संस्कृति के उत्थान का रहस्य है।

 

माँ सरस्वती की अनुकंपा और गुरुजनों के आशीर्वाद के फलस्वरूप हम प्रस्तुत पुस्तक “संगीत – सारंग ” को विद्वानजनों तथा पाठकों के समक्ष रखने का प्रयास कर रहे हैं। यह वर्षों की संगीत साधना एवं संगीत प्रस्तुतिकरण, शोध कार्यों का प्रतिफल है। परमपिता परमेश्वर की असीम कृपा और माता-पिता के आशीर्वाद से हम इस कार्य को पूर्ण करने में समर्थ हो पाए हैं।

 

हम अपने गुरुओं- आचार्य परमानंद बंसल, आचार्य जीत राम शर्मा, आचार्य राम स्वरूप शांडिल, डॉ. मृत्युर्जय शर्मा, डॉ. कीर्ति गर्ग, डॉ. देवराज शर्मा, डॉ. ज्ञान सांगटा, प्रो. राजीव शर्मा, डॉ. टी.सी. कौल एवं संगीत विभाग के समस्त कर्मचारी वर्ग और हमारे मित्रगण तथा अशोक पालसरा का विशेष आभार व्यक्त करते हैं।

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