- आईजीएमसी प्रबन्धन और यूनियन की बैठक बेनतीजा, उग्र होगा आंदोलन
आपकी खबर, शिमला। 3 अक्तूबर
आईजीएमसी के 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने के खिलाफ आईजीएमसी कॉन्ट्रैक्ट वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू ने आईजीएमसी शिमला के बाहर जोरदार मौन प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के बाद आईजीएमसी प्रबन्धन से यूनियन प्रतिनिधिमंडल की बातचीत हुई, जोकि लगभग चार घण्टे चली। यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर नौकरी से निकाले गए सुरक्षा कर्मियों को वापिस न लिया तो आंदोलन तेज होगा।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व यूनियन अध्यक्ष देवराज बबलू ने कहा कि आईजीएमसी में अंग्रेजों के ज़माने के काले कानून आज भी जारी हैं। यहां हायर एन्ड फायर नीति जारी है व कानून का गला घोंट कर 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है।
यह औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 33 का भी उल्लंघन है जोकि यूनियन के नेतृत्वकारी मजदूरों को सुरक्षित कर्मचारी घोषित करती है। उन्होंने कहा कि 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का निर्णय गैर कानूनी है। इसे तुरन्त वापिस लिया जाए। अगर ऐसा न किया गया तो आईजीएमसी में हड़ताल होगी।
उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मियों की मानसिक प्रताड़ना की जा रही है। ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जोकि यूनियन से आईजीएमसी प्रबन्धन द्वारा किए गए समझौते व औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है। आईजीएमसी प्रबन्धन भी नए ठेकेदार के साथ मिलकर श्रम क़ानूनों की खुली अवहेलना कर रहा है। पिछले कई वर्षों से कार्यरत सुरक्षा कर्मियों की पुनर्नियुक्ति में श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है।
औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25 एच की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नई आउटसोर्स कम्पनी द्वारा जो शपथ पत्र सुरक्षा कर्मियों से लिया जा रहा है, उसमें अनुचित श्रम व्यवहार किया जा रहा है। यह औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के पांचवें शेडयूल व धारा 25 यू का उल्लंघन है। प्रमुख नियोक्ता आईजीएमसी प्रबन्धन द्वारा ठेका मजदूर अधिनियम 1970 की अवहेलना बड़े पैमाने पर की जा रही है। उन्होंने मांग की है कि आईजीएमसी प्रबन्धन द्वारा वार्ड अटेंडेंटों व सफाई कर्मियों की तर्ज़ पर सभी सुरक्षा कर्मियों को नए ठेकेदार के पास पुनर्नियुक्ति दी जाए।