मिड डे मील वर्कर्स यूनियन का प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री से मिला, सौंपा 20 सूत्री मांगपत्र
आपकी खबर, शिमला। 23 अगस्त
मिड डे मील वर्कर्स यूनियन का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से मिला। इस दौरान उन्होंने सौंपा 20 सूत्री मांगपत्र भी सौंपा।
सम्बन्धित सीटू की हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी का एक प्रतिनिधिमंडल सात सूत्रीय मांग पत्र को लेकर शिक्षा मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार रोहित ठाकुर से मिला व उन्हें मांग पत्र सौंपा।
मंत्री ने मांगों को तत्काल पूर्ण करने का आश्वासन दिया है। यूनियन तथा मंत्री महोदय व निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा श्री आशीष कोहली के मध्य डेढ़ घण्टे तक चली बैठक बेहद सकारात्मक रही। प्रतिनिधिमंडल में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, उपाध्यक्ष जगत राम, बालक राम, यूनियन अध्यक्ष इंद्र सिंह, महासचिव हिमी देवी, सुदेश कुमार, शांति देवी, संदीप कुमार, जानकी, बिमला व रामप्रकाश आदि शामिल रहे।
विजेंद्र मेहरा, जगत राम, इंद्र सिंह व हिमी देवी ने कहा है कि प्रदेश में कार्यरत 21 हजार मिड डे मील कर्मियों की स्थिति बेहद दयनीय है। इनके लिए मात्र 4500 रुपये प्रतिमाह वेतन घोषित किया गया है जोकि कई कई महीनों तक नहीं मिलता है।
समय पर वेतन न मिलने से मिड डे मील कर्मियों को अपना जीवनयापन करना बेहद मुश्किल हो रहा है। मिड डे मील वर्करज यूनियन सम्बन्धित सीटू द्वारा हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका पर प्रदेश उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने वर्ष 2019 व डबल बेंच ने वर्ष 2024 में फैसला दिया है कि मिड डे मील कर्मियों को 10 महीने के बजाए 12 महीने का वेतन दिया जाए परन्तु प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक इस फैसले को लागू नहीं किया गया है। मिड डे मील कर्मियों को साल में एक भी छुट्टी नहीं दी जाती है।
उन्हें एमरजेंसी, हारी बीमारी व पारिवारिक कार्यक्रमों में छुट्टी करने पर अपनी जगह रिलीवर भेजना पड़ता है, जिसकी पांच सौ से सात सौ रुपये की दिहाड़ी का खर्चा भी उन्हें खुद ही उठाना पड़ता है जबकि उन्हें स्वयं अपने कार्य की दिहाड़ी रिलीवर को दी जाने वाली दिहाड़ी का एक चौथाई डेढ़ सौ रुपये ही दी जाती है। प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक के लिखित आदेशों के बावजूद मिड डे मील कर्मियों से किचन गार्डन, झाड़ियां काटने, साफ सफाई, पानी की टंकियां साफ करवाने व अन्य कई तरह का अतिरिक्त कार्य करवाया जाता है जिसका उन्हें कभी अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाता है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 व वर्ष 2024 में उच्च न्यायालय ने मिड डे मील कर्मियों को 10 महीने के बजाए 12 महीने का वेतन देने का निर्णय सुनाया है। परन्तु उच्च न्यायालय के फैसले को अभी तक लागू नहीं किया गया है।
उन्होंने मांग की है कि सरकार द्वारा इस फैसले को लागू किया जाए ताकि प्रदेश के हजारों मिड डे मील कर्मियों को आर्थिक लाभ मिल सके। प्रदेश सरकार द्वारा कम बच्चों की संख्या वाले स्कूलों को बन्द करने व कुछ स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करने का निर्णय लिया गया है। इन स्कूलों में कार्यरत मिड डे मील वर्करज को भी अन्य कर्मचारियों की तर्ज पर अन्य नजदीकी स्कूलों में समायोजित किया जाए।
मिड डे मील कर्मियों को प्रतिमाह पहली तारीख को वेतन का भुगतान किया जाए। उन्हें वेतन स्लिप दी जाए, ताकि उन्हें अपने वेतन की सही जानकारी मिल सके। उन्हें आंगनबाड़ी की तर्ज पर एक साल में कम से कम 20 छुट्टियां दी जाएं। उन्हें आंगनबाड़ी व आशा कर्मियों की तर्ज पर साल में दो वर्दी दी जाए। उनसे चुनाव के समय पोलिंग पार्टी को खाना बनाने का कार्य न करवाया जाए। यदि आवश्यक हो तो उन्हें इस कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए।
महिला मिड डे मील कर्मियों को राज्य में अन्य महिला कर्मचारियों की तर्ज पर रक्षाबंधन, करवाचौथ व भाई दूज की वेतन सहित छुट्टियां दी जाएं। साधारण अथवा क्लस्टर स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने पर अतिरिक्त मिड डे मील कर्मियों की नियुक्ति की जाए।