- अपने आराध्य ब्रहम ऋषि देवता को दो माह बाद लोगों ने नम आंखों से किया विदा
आपकी खबर, शिमला।
देव आस्था। एक ऐसा शब्द जिसके आगे किन्तु परंतु जैसे शब्दों की कोई स्वीकार्यता नहीं रह जाती। देव आस्था को कायम रखने के लिए शारीरिक कष्टों से मुकाबला करते हुए विपरित परिस्थियों को समारोह में तब्दील करने का हुनर हिमाचल प्रदेश के लोग अच्छी तरह से जानते हैं। देव आस्था की मर्यादा बनाए रखने तथा अपने आराध्य देवता के लिए समर्पित हिमाचल प्रदेश के लोगों ने प्रदेश को अन्य प्रदेशों की तुलना में देवभूमि की फेहरिस्त में सबसे ऊपर लाकर रख दिया है। इसका प्रमाण ब्रहम ऋषि देवता के देवलुओं, कारकूनों सहित श्रद्धालुओं ने दिया है। रास्तों में घुटनों तक जमी बर्फ, कंपकंपाती ठण्ड भी इनके हौंसले पस्त नहीं कर पाई।
देव आस्था के आगे कुदरत भी घुटने टेकती नजर आई। यहां बात हो रही है शाकटी मराउड़ के ब्रहम ऋषि देवता की जो 16 वर्षों बाद गत नवम्बर माह से आउटर सिराज आनी क्षेत्र के दौरे पर निकले थे। निर्धारित समय सीमा पूरी होने के बाद स्थानीय लोगों के आराध्य देवता की वापसी में बर्फबारी के चलते बर्फीले रास्तों ने उनकी यात्रा को अवरूद्ध करने की कोशिश तो की लेकिन उनके देवलुओं, कारकूनों सहित श्रद्धालुओं ने इस यात्रा को आस्था के बल पर सुगम बना दिया। दो माह के आनी क्षेत्र के प्रवास के बाद बंजार घाटी के देवता वापिस अपने देवालय के लिए रवाना हो गए हैं।
इस दौरान घुटनों तक रास्तों में जमी बर्फ व हाड़ कंपा देने वाली ठण्ड को श्रद्धालुओं ने सिरे से नकारते हुए अपनी यात्रा को देव आस्था व इससे मिले हौंसले के बूते जलोड़ी दर्रे तक पहुंचा दिया है। अपने प्रवास के अंतिम दिन देवता क्षेत्र के आराध्य देव कुंईरी महादेव के झरौहनु स्थित मंदिर से कनाला होते हुए बर्फीले रास्तों से वापिस लौट गए। अपने दौरे के दौरान देवता आनी, निरमंड खण्ड के रघुपुर, सिरिगढ़, नारायण गढ़, जांजा, बुछैर, जलोड़ी, निथर सहित क्षेत्र के दर्जनों गांव में पहुंचकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया।
देवता के दौरे के दौरान क्षेत्र में उत्सव का माहौल बना रहा तथा दो माह बाद क्षेत्र के लोगों को सुख समृद्धि का आर्शीवाद देकर अपने देव स्थान की ओर लौट गए। आनी क्षेत्र के सैंकडों श्रद्धालुओं ने नम आखों से देवता को विदा करते हुए पुन: आगमन की प्रार्थना की।