आपकी खबर, शिमला।
राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भारतीय उच्च परम्पराओं के पालन पर विशेष बल देते हुए कहा कि संगठन समाज में अच्छे विचारों और संस्कृति को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। राज्यपाल ने यह बात आज यहां शिमला के निकट पंथाघाटी में प्रजापिता ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय संस्थान में आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत आयोजित शिव ध्वजारोहण कार्यक्रम के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि वर्तमान संदर्भ में संघ और संगठन की मजबूती ही एकमात्र बहुमूल्य अवधारणा है। यह हमारी शक्ति, धर्म और आस्था है।
उन्होंने धर्म की अलग तरह से व्याख्या पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म का अर्थ आत्म अनुशासन है। धर्म को अपनाने से शासन और विचारों में अवगुण नहीं आते। उन्होंने उपस्थित लोगों और संगठनों से समृद्ध संस्कृति की रक्षा और धर्म की स्थापना के लिए अपना जीवन समर्पित करने का आह्वान किया ताकि समाज में अच्छी धारणा और संस्कृति स्थापित हो सके।
राज्यपाल ने कहा कि महाशिवरात्रि का हमारे सांस्कृतिक जीवन में एक विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ने आध्यात्म को देश की आत्मा माना है, परन्तु हम संस्कृति के मूल विचारों को भूलकर पश्चिमी सभ्यता की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी समृद्ध संस्कृति और धर्म ने विश्व के किसी भी भाग को बलपूर्वक जीतने की कोशिश नहीं की, अपितु हम लोगों के दिल जीतने में विश्वास रखते हैं। प्रजापिता ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय संस्थान इस भावना को आत्मसात कर कार्य कर रहा है। उन्होंने प्रजापिता ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय संस्थान के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्थान द्वारा किए गए कार्य अनुकरणीय हैं।
इससे पूर्व, राज्यपाल ने संस्थान के परिसर में एक सेब का पौधा भी रोपित किया। इससे पूर्व, प्रजापिता ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय संस्थान पंथाघाटी की प्रमुख ब्रह्म कुमारी रजनी ने राज्यपाल को सम्मानित किया। ब्रह्म कुमारी सुनिता ने राज्यपाल का स्वागत किया।
पूर्व विधायक ब्रह्म कुमार हृदयराम ने संस्थान की विभिन्न गतिविधियों का ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि विश्वभर के लगभग 140 देशों में प्रजापिता ब्रह्म कुमारी के 10 हजार से अधिक सेवा केन्द्रों के माध्यम से लगभग 12 लाख नियमित विद्यार्थी आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित कर रहे हैं। इस अवसर पर कुमारी अर्शी दुल्टा ने नृत्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।