हिमाचल

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सौर ऊर्जा के दोहन में सार्थक प्रयासः सुरेश भारद्वाज

आपकी खबर, शिमला। 

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज यहां बताया कि स्मार्ट सिटी मिशन सौर ऊर्जा के दोहन को बढ़ावा देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। मिशन के तहत शिमला शहर के 66 सरकारी भवनों में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्रों के माध्यम से 1.85 करोड़ रुपये की बिजली की बचत की गई है।

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि स्मार्ट सिटी मिशन ने शिमला शहर का कायाकल्प किया है। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना इस मिशन का मुख्य घटक है। पहले शहर में सरकारी भवनों को चिन्हित किया गया तथा उसके बाद प्रदेश में सौर ऊर्जा की नोडल एजेंसी हिमऊर्जा के माध्यम से इन भवनों में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया आरम्भ की गई।

शहरी विकास मंत्री ने कहा कि प्रदेश में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत प्रथम सौर ऊर्जा संयंत्र जनवरी 2019 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में स्थापित किया गया। अब तक 66 सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं, जिनकी कुल क्षमता 2500 किलोवाट आवर है। अब तक इन संयंत्रों के माध्यम से 39.16 लाख किलोवाट आवर ऊर्जा का उत्पादन किया गया है, जिससे 1.85 करोड़ रुपये की बिजली की बचत हुई है। सरकारी प्रिंटिंग प्रेस, एचआरटीसी कार्यशाला तारादेवी, बागवानी निदेशालय, हि.प्र. विश्वविद्यालय में छात्रावास, एचआरटीसी का पुराना बस स्टैंड, डीडीयू जोनल अस्पताल, जिला न्यायालय चक्कर कुछ ऐसे कार्यालय हैं जिन्होंने अब तक प्रति कार्यालय बिजली बिलों पर 3 लाख रुपये से अधिक की बिजली की बचत की है और एक लाख यूनिट से अधिक का उत्पादन किया।

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा हरित ऊर्जा विशेषकर सौर ऊर्जा पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि हम हरित ऊर्जा के साथ स्मार्ट सिटी के लिए प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

शहरी विकास मंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा स्मार्ट सिटी का भविष्य है। ऐसी कई परियोजनाएं हैं, जहां मुख्य रूप से बिजली बिलों पर खर्च किया जाएगा। ऐसी सभी परियोजनाओं विशेष कर लिफ्ट और एस्केलेटर को जोड़ने के लिए सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने की योजना तैयार की गई है।

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि अधिकारियों को संजौली में निर्माणाधीन फुट ओवर ब्रिज में एस्केलेटर की संभावना तलाशने को कहा गया है। हिम ऊर्जा द्वारा सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की संभावना भी तलाश की जाएगी, जिससे बिजली खर्च कम होगा और एस्केलेटर अधिक व्यावहारिक हो जाएगा।

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