धर्म

आस्था : गाड़ियों की सुरक्षा करते हैं सोमाकोठी के “वणशीरा देव”

 

आपकी खबर, करसोग। 

करसोग उप-मण्डल के अंतर्गत ठाकुरठाणा पंचायत के सोमाकोठी स्थित सोमेश्वर महादेव जी और इनके “गण” लोगो के लिए श्रद्धा का केन्द्र हैं। सोमेश्वर महादेव, नागदेव शुन्दलु और देव दवाहली की संयुक्त देव स्थली सोमाकोठी न केवल एक तीर्थ स्थल अपितु किसी पर्यटन स्थल से कम नही है। सोमकोठी के साथ ठाकुरठाणा, नागधार,पथरेवी, नगैलड़ी कताण्डा,खन्योल,च्वासी सिद्ध,पोखी गांव व मंदिर इसके विशेष,सुन्दर, मनमोहक दर्शनीय स्थल हैं। साहित्यकार डाक्टर हिमेन्द्रबाली’हिम”का कहना है कि आधुनिकता के इस दौर में मानव की सभ्यता और विकास से जुड़े संस्कार गीतों, मार्गशीर्ष मास की बूढ़ी दीवाली के अवसर पर गायी जाने वाली देव गाथाओं का लोकप्रिय गायन परंपरा अभी सोमाकोठी में कायम है।सोमाकोठी में सोमेश्वर महादेव,नाग शुन्दलु,देओ दवाहल इनके देवगणो, वणशीरा देव, बाबा, कालमुक्तेश्वर की आत्मिक शक्तियों की कहानियां आज भी श्रद्धा से सुनाई जाती हैं।अतीत में जब यातायात के साधन नहीं थे तो सफेद वस्त्र धारी “वन रक्षक वणशीरा देव” का बहुतों से सामना भी हुआ है। प्रत्यक्ष अनुभव करने वालों की वणशीरा ने सहायता की है। भय और रोमांच से भरे इन किस्सों को आज भी सुना जा सकता है। खडारगली-ठाकुरठाणा मार्ग पर लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर सड़क के किनारे दायीं ओर देवदार के वृक्ष में सोमेश्वर महादेव जी के देवगण वणशीरा जी का वास है।वाहन मालिकों और चालकों के लिए यह स्थान आस्था व आकर्षण का केन्द्र है। वाहन चालक इस रहस्यमय स्थान पर गाड़ी रोककर वणशीरा जी को आदर पूर्वक प्रणाम कर ही आगे बढ़ते हैं। कहते हैं कि यदि किसी वाहन का कोई कलपूर्जा बार-बार खराब हो रहा हो तो इस खराब पूर्जे को यहां चढ़ाने से फिर कभी भी वो पूर्जा खराब नहीं होता। मनोकामना पूरी होने पर वाहन चालक अत्यंत श्रद्धा के साथ थाल में पूजा सामग्री, मेवा-मिठाई, दान-दक्षिणा, गाड़ी की नम्बर प्लेट तथा चुनरी भेंट कर श्रद्धा और विश्वास से प्रार्थना करते हैं तथा निश्चित होकर सहज भाव से गंतव्य की ओर बढ़ जाते हैं। वाहन सम्बंधित किसी प्रकार के अनिष्ट से बचने, विपत्ति, अपशकुन, दुर्घटना आदि से बचने के लिए वाहन मालिकों और चालकों ने गाड़ी की नंबर प्लेटे वणशीरा जी को अर्पित की हैं, ये ढेर में बदल गयी हैं। संस्कृति मर्मज्ञ डॉक्टर जगदीश शर्मा का कहना है कि किवदंति है कि वणशीरा देव जी भक्तों की अप्रत्याशित सहायता करते हैं। भूत-प्रेतों और दुष्ट आत्माओं से भी मुक्ति दिलाते हैं।

सोमेश्वर महादेव मंदिर समिति के प्रधान देवीराम शर्मा का कहना है कि यह स्थान “सत कैलटी री धार” के नाम से भी जाना जाता है।यहाँ कायल का एक अनूठा बहु तना वृक्ष है। इस वृक्ष के मूल मे एक तना तथा इस तने के ऊपर सात तने बने हैं।इसी लिए इसे “सत कैलटी री धार” कहते हैं। च्वासी निवासी टी सी ठाकुर का कहना है कि इसी तरह वणशीरा का दूसरा स्थान खडारगली-कताण्डा मार्ग पर स्थित नगैलड़ी में भी है। इसका मूल स्थान भी सोमाकोठी का सोमेश्वर महादेव मंदिर ही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button