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आगज़नी से निपटने के लिए स्थापित होंगे जल भंडारण टेंक व फ़ायर हाइड्रेंटस

  • आगज़नी से निपटने के लिए स्थापित होंगे जल भंडारण टेंक व फ़ायर हाइड्रेंटस

आपकी खबर, कुल्लू। 

जिला आपदा प्राधिकरण कुल्लू की बैठक उपायुक्त आशुतोष गर्ग की अध्यक्षता में संपन्न हुई।

उपायुक्त ने बैठक में अग्नि सुरक्षा के मद्देनजर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा के मद्देनजर आगजनी संभावित स्थानों की पहचान एवं मैपिंग करने के निर्देश दिए। उपायुक्त ने सभी उपमंडल अधिकारियों को अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत प्रत्येक उपमंडल स्तर पर पायलट आधार पर ऐसे 10 गांवों को चिन्हित करने के लिए निर्देश दिए जहां पर सड़क की पहुंच सही नहीं है तथा जो कि अग्निशमन केंद्रों से सुदूर स्थित है। ऐसे साथ पर बड़े जल के टैंक स्थापित किए जाये ताकि उन क्षेत्रों में आगज़नी से प्रभावी तरीक़े से निपटा जा सके।

 

उन्होंने कहा कि उन क्षेत्रों में जहां घनी आबादी है तथा पारंपरिक काठ कुणी शैली के मकानों का निर्माण किया गया है जहां पर आग से होने वाले नुकसान की अधिक संभावना रहती है, वहां पर आगज़नी से निपटने के लिए जल भंडारण टेंकों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी।

उन्होंने जानकारी दी कि इससे पहले भी जूआरे योजना के अंतर्गत जिला आपदा प्राधिकरण के द्वारा नुकसान एवं संसाधन के संबंध में मैपिंग की गई थी जिसके आधार आगे पुनः पंचायतों को आगज़नी से निपटने के लिए आवश्यक पग उठने के निर्देश दिए हैं।

 

उपायुक्त ने वन विभाग, जल शक्ति तथा जिला ग्रामीण विकास अभीकरण विभागोंजिले के सभी जलाशयों को कैच द रेन प्रोजेक्ट के अंतर्गत पुनर्जीवित करने के निर्देश दिये।

उपायुक्त ने निर्देश कि ऐसे जलाशय जिनमें 10,000 लीटर से ज्यादा की जल संग्रहण

क्षमता की हो उनको भी कैच द रेन अभियान के तहत पहचान करके पुनर्जीवित किये जायें।

 

इसके साथ-साथ की प्राकृतिक जल स्रोतों को भी संबंधित विभागों द्वारा पहचान करके वहां स्टोरेज की सुविधाएं बनाई जाएं।

 

उपायुक्त ने कहा कि जिला आपदा प्रबंधन समितियों का समुचित प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास भी आवश्यक है, जिसके लिए समय समय यहां कार्यरत लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाए ताकि आग से होने वाली घटनाओं का प्रभावी रूप से सामना किया जा सके।

उपायुक्त ने जिले में अग्नि शमन के नेटवर्क को और अधिक सुदृढ़ करने के निर्देश दिए, जिसके अंतर्गत सड़क से जुड़े हुए तथा घनी आबादी वाले क्षेत्रों को पहचान करके वहां पर फायर हाइड्रेंट स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में समितियों का गठन किया गया है जिन्हें फायर हाइड्रेंट स्थापित करने के लिए स्थानों की पहचान करके उनकी रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने को कहा।

बैठक में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी प्रशान्त सरकेक, तथा सभी उपमंडलाधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी वर्चुअल माध्यमसे जुड़े।

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