Saturday, July 27, 2024

स्वास्थ्य मेले में 50 से अधिक लोगों ने ली अंगदान की शपथ

 

  • एचआरटीसी के उपाध्यक्ष ने शपथ पत्र भरकर किया लोगों को प्रोत्साहित
  • सीएचसी कस्बा कोटला में सोटो का जागरूकता शिविर आयोजित 

आपकी खबर, शिमला।

जिला कांगड़ा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कस्बा कोटला में आयोजित स्वास्थ्य मेले में स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) हिमाचल प्रदेश का स्टाल आकर्षण का केंद्र रहा।इसमें हिमाचल पथ परिवहन निगम के उपाध्यक्ष विजय अग्निहोत्री बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे, कार्यक्रम के दौरान इन्होंने मेले में लगे विभिन्न स्थलों का निरीक्षण किया और सोटो के स्टाल पर आकर अंगदान का शपथ पत्र भरकर लोगों को अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अंगदान को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए सोटो हिमाचल की टीम के प्रयास की सराहना की और टीम का उत्साह वर्धन किया । सोटो टीम ने लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक किया और पेंफ्लेट बांटकर अंगदान करने के लिए शपथ पत्र भरने का आग्रह किया। इसमें स्थानीय लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।

बीएमओ डाडासीबा डॉक्टर सुभाष ठाकुर के साथ मेडिकल स्टाफ सहित 50 से अधिक स्थानीय लोगों ने अंग दान का संकल्प लिया । इस दौरान सोटो टीम ने बताया कि लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान करके जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं। अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। किसी व्‍यक्ति की ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद, डॉक्‍टर उसके घरवालों की इच्छा से शरीर से अंग निकाल पाते हैं। इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं। इस प्रक्रिया को एक निश्‍चित समय के भीतर पूरा करना होता है। ज्‍यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। देश में प्रतिदिन प्रत्येक 17 मिनट में एक मरीज ट्रांसप्लांट का इंतजार करते हुए जिंदगी से हाथ धो बैठता है।

एक व्यक्ति जिसकी उम्र कम से कम 18 वर्ष को स्वैच्छिक रूप से अपने करीबी रिश्तेदारों को देश के कानून व नियमों के दायरे में रहकर अंगदान कर सकता है । अंगदान एक महान कार्य है जो हमें मृत्यु के बाद कई जिंदगियां बचाने का अवसर देता है।जीवित अंगदाता किडनी, लीवर का भाग, फेफड़े का भाग और बोन मैरो दान दे सकते हैं, वहीं मृत्युदाता यकृत, गुर्दे, फेफड़े, पेनक्रियाज, कॉर्निया और त्वचा दान कर सकते हैं।पिछले माह हिमाचल में पहली बार ब्रेन डेड मरीज के शरीर से अंगदान हुआ जहां अठारह वर्षीय युवक ने दो किडनी व आंखे दान की। यह अंगदान टांडा मेडिकल कॉलेज में हुआ था।

कार्यक्रम में सिविल अस्पताल डाडा सिबा के मेडिकल ऑफिसर नवतेज सिंह, ब्लॉक एकाउंटेंट करनैल सिंह, सोटो की आईईसी मीडिया कंसलटेंट रामेश्वरी, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश कुमार और प्रोग्राम असिस्टेंट भारती कश्यप मौजूद रहे।

  • अंगदान के फैसले में परिवार को करें शामिल

अपने परिवार के समक्ष अपने अंगों एवं उत्तकओं को दान करने की इच्छा जाहिर करें, ताकि मृत्यु की दुर्घटना के समय अंगों एवं उत्तकों को दान करने के लिए उसकी सहमति परिवार के जनों से ली जा सके।

  • अंगदान के लिए परिजनों को तैयार करना चुनौतीपूर्ण

अंग लेने के लिए पारिवारिक जनों की सहमति बेहद जरूरी रहती है। ब्रेन डेड मरीज के परिजनों को अंगदान करने के लिए तैयार करना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। अंगदान के संबंधित सही जानकारी व भ्रम होने की वजह से अधिकतर लोग अंगदान करने से पीछे हट जाते हैं। इसीलिए अगर लोगों में पहले से अंगदान को लेकर पर्याप्त जानकारी होगी तभी ऐसे मौके जरूरतमंदों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं।

Get in Touch

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

spot_img

Latest Posts