Sunday, May 19, 2024

सरदार पटेल विश्वविद्यालय का दायरा घटाने का फैसला सुक्खू सरकार की नकारात्मक सोच : एबीवीपी

  • सरदार पटेल विश्वविद्यालय का दायरा घटाने का फैसला सुक्खू सरकार की नकारात्मक सोच : एबीवीपी

 

  • छात्रों के हित में वापस ले निर्णय, अन्यथा आंदोलन करेगी विधार्थी परिषद : आकाश नेगी

 

आपकी खबर, शिमला। 2 सितंबर, 2023

 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश मंत्री आकाश नेगी ने कहा है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा सरदार पटेल विश्वविद्यालय के दायरे को घटाने का फैसला लिया है, यह उनकी नकारात्मक सोच को दर्शाता है। विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले पांच जिलों के छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है।

 

 

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि अभाविप मंडी में क्लस्टर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कई वर्षों तक संघर्षरत रहीं, जिसके परिणाम स्वरूप 2020 में मंडी में क्लस्टर विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।

 

प्रदेश में दूसरे राज्य विश्वविद्यालय की आवश्यकता को देखते हुए विद्यार्थी परिषद ने क्लस्टर विश्वविद्यालय को अपग्रेड करके राज्य विश्वविद्यालय बनाने की मांग उठाई, इस मांग को लेकर विद्यार्थी परिषद ने कई आंदोलन किया।

 

अभाविप द्वारा इस मांग को पूरा कराने के लिए मंडी के ऐतिहासिक सेरी मंच में 8 दिसंबर 2021 को एक विशाल “छात्र हुंकार रैली”का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश के 6 जिलों से आए हुए 6000 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया।

 

मंडी से प्रदेश के दूसरे विश्वविद्यालय के लिए उठी बुलंद आवाज को देखते हुए तत्कालीन प्रदेश सरकार द्वारा 2021 के शीतकालीन सत्र में विश्वविद्यालय से संबंधित एक्ट पारित किया गया,जिससे 1 अप्रैल 2022 को मंडी में हिमाचल प्रदेश का दूसरा राज्य विश्वविद्यालय सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी अस्तित्व में आया।

 

सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के अंतर्गत प्रदेश के पांच जिलों चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू एवं लाहौल स्पीति के 141 के करीब महाविद्यालय आते हैं।

 

 

हिमाचल प्रदेश की सरकार ने 22 अगस्त को हुई कैबिनेट की बैठक में सरदार पटेल विश्वविद्यालय के दायरा घटाने को ले कर प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

मंडी विवि अब केवल तीन जिलों मंडी, लाहौल-स्पीति और कुल्लू (आनी, निरमंड के छोड़कर) के कॉलेजों तक ही सीमित रह जायेगा। पहले एसपीयू के पास मंडी, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, कांगड़ा और चंबा के कॉलेज शामिल किए थे। एचपीयू के पास शिमला, सोलन, सिरमौर, हमीरपुर, ऊना, किन्नौर और बिलासपुर के कॉलेज रखे थे।

 

बता दे की हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय पहले से ही अपने प्रवेश परीक्षा और परिणाम को ले कर हमेशा सुर्खियों में रहा है, वह इस समय जहा प्रदेश में दूसरे विश्वविद्यालय के कारण कार्य विभाजन से इन चीजों में तेजी लाई जा रही है वही प्रदेश की सरकार अपने बदले की राजनीति करने से पीछे नहीं हट रही हैं , छात्र हितों को अनदेखा करना सरकार का काम बन गया है।

 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश इस फैसले की कड़ी निन्दा करती है वह कड़े शब्दों में ये मांग करती है कि इस प्रकार की छात्रविरोधी फैसले को तुरंत वापस लिया जाए नहीं तो विद्यार्थी परिषद प्रदेश के केवल छात्र ही नहीं अपितु उनके अभिभावकों को भी साथ लेकर इस निर्णय के खिलाफ सड़कों पर नजर आएंगे। इसका खामियाजा हिमाचल प्रदेश की सरकार को झेलना पड़ेगा। वह इसी के साथ साथ आने वाले एक सप्ताह में विभिन्न प्रकार के आंदोलन के माध्यम से सरकार को अपनी नींद से जगाने का काम विद्यार्थी परिषद् के बैनर के तले किया जा रहा है।

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