- प्राकृतिक खेती से आ रहे बदलाव की साक्षी बनी डेढ फुट लंबी काकड़ी
आपकी खबर, करसोग। 2 अक्तूबर
जैविक सब्जिया काकड़ी और फल भारत ही नही अपितु विश्व मे काफी प्रचलित होते जा रहे है।देसी काकड़ी का अंग्रेजी नाम ककुम्बर है। विज्ञान अध्यापक पुनीत गुप्ता का कहना है कि इसमें फाइबर, विटामिन सी, विटामिन के, मैग्नीशियम, पोटेशियम और मैंगनीज जैसे पोषक तत्व मिलते हैं। इसमें मौजूद अधिक पानी की मात्रा को गर्मी के मौसम में हाइड्रेशन के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। काकड़ी में कई एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते है जो शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम कर सकता है।
काकड़ी का लैटिन नाम क्यूक्यूमिस सैटिवम, संस्कृत नाम कर्कट, गुजराती और मराठी नाम ककड़ी है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डाॅक्टर जगदीश शर्मा के अनुसारके कच्ची काकड़ी शीतल,ग्राहक,मधुर भारी रूचिकर पित्त नाशक है।पक्की लाल ककड़ी तृषा अग्नि और पित्त को बढाने वाली है। स्थानीय मान्यता के अनुसार लाल ककड़ी मूत्र् संबंधी रोग,गुर्दे और मूत्राशय की पत्थरी मे उपयोगी पाई जाती है।
ककड़ी जून-जुलाई से सितंबर-अक्टूबर तक हिमाचल प्रदेश मे खूब चाव से खाई जाती है। ऐतिहासिक नगरी पांगणा के सेवानिवृत्त ड्राइंग अध्यापक सोहन लाल गुप्ता ने डेढ फुट लंबी और लगभग पांच किलोग्राम वजन की मुलायम जैविक ककड़ी उगाने मे सफलता पाई है। जिसे देखकर सभी हैरान है। सोहन लाल गुप्ता ने बताया कि उन्होने इस बेल मे न तो कोई रासायनिक खाद डाली न ही तो किसी भी प्रकार की रासायनिक हार्मोंस की स्प्रे की।