- किसानों को वरदान साबित होगा पीएम मोदी का ये फैसला
आपकी खबर, शिमला।
देश की किसान हितैषी नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के लिए बड़ी राहत दी है। मोदी सरकार ने मूंग, अरहर, धान, मक्का और उड़द की दाल की एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस बढ़ा दिया है। सरकार के इस कदम के बाद किसान अपनी फसल बढ़ी हुई कीमतों पर बेच सकेंगे।
यह बात हिमाचल प्रदेश किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री संजीव देष्टा ने कही। यहां जारी बयान में उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते 9 वर्षों में किसान भाई-बहनों के हित में कई अहम फैसले लिए गए है। इसी कड़ी में सरकार ने खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है।
इससे अन्नदाताओं को उपज का लाभकारी मूल्य मिलने के साथ ही फसलों में विविधता लाने के प्रयासों को भी बल मिलेगा।
केंद्र की मोदी सरकार ने तुअर दाल की एमएसपी में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है, जबकि धान, मक्के और मूंगफली की एमएसपी में भी बढ़ोतरी की गई है। सरकार के इस कदम से बड़े स्तरों पर किसानों को लाभ होगा और नई फसल के लिए अच्छे दाम मिल पाएंगे। सरकार ने खेती की बढ़ती हुई लागत को देखते हुए किसानों की हित में ये फैसला लिया है।
सरकार ने मूंग दाल का समर्थन मूल्य सबसे ज्यादा 10 प्रतिशत बढ़ाया है। वहीं,धान का मिनिमम सपोर्ट प्राइस 143 रुपए बढ़ाकर 2,183 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।सरकार के इस कदम का मकसद किसानों को धान की खेती के लिए प्रोत्साहन देना और उनकी आमदनी बढ़ाना है।
सामान्य ग्रेड के धान का एमएसपी 143 रुपए बढ़ाकर 2,040 रुपए से 2,183 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। ए ग्रेड के धान का एमएसपी 163 रुपए बढ़ाकर 2,203 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। मूंग का एमएसपी अब 8,558 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। यह पिछले साल 7,755 रुपए प्रति क्विंटल था। ज्वार हाइब्रिड का एमएसपी 210 रुपए, बाजरा का 150 रुपए, रागी का 268 रुपए, मक्का का 128 रुपए, अरहर का 400 रुपए, मूग का 803 रुपए, उड़द का 350 रुपए, मूंगफली का 527 रुपए, सूरजमुखी बीज का 360 रुपए, सोयाबीन पीला का 300 रुपए और सनफ्लावर सीड का एमएसपी 360 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।
वर्ष 2023-24 के दौरान खरीफ फसलों के दौरान एमएसपी में वृद्धि किसानों को उचित पारिश्रमिक मूल्य उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय बजट 2018-19 की अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा के अनुरूप है। बाजरा (82%) के बाद तुअर (58%), सोयाबीन (52%) और उड़द (51%) के मामले में किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ सबसे अधिक होने का अनुमान है। शेष अन्य फसलों के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% मार्जिन प्राप्त होने का अनुमान है।
हाल के वर्षों में, सरकार लगातार इन फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य की पेशकश करके दलहनों, तिलहनों और अन्य पोषक धान्य/श्री अन्न जैसे अनाजों के अलावा कई फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने किसानों को उनकी फसलों में विविधता लाने के उद्देश्य से प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) जैसी विभिन्न योजनाएं एवं गतिविधियां भी शुरू की हैं।
देश में 2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 330.5 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 14.9 मिलियन टन अधिक है। यह बीते 5 वर्षों में होने वाली सबसे अधिक वृद्धि को दर्शाता है।