- चरागाहों को वन भूमि से बाहर रखा जाए, हिमाचली पहाड़ी गौवंश सोसायटी ने बैठक में रखा प्रस्ताव
- एक वर्ष के लिए बनी नई कार्यकारिणी के डॉ. देवेंद्र बने अध्यक्ष
आपकी खबर, शिमला।
हिमाचली पहाड़ी गौवंश सोसायटी ने सरकार से प्रदेश के चरागाहों को वन भूमि से बाहर रखने की मांग की है। शुक्रवार को कामनापूर्ति गौशाला टुटू में सोसायटी की बैठक आयोजित हुई। बैठक में गायों को सड़कों पर छोड़ने को लेकर कड़ा एतराज जाहिर किया गया।
सोसायटी का कहना है कि इसको लेकर सरकार कड़ा कानून बनाए, ताकि कोई भी किसान गायों को सड़कों पर न छोड़ें। प्राय देखा गया है कि किसान और अन्य लोग दूध देना बंद करने के बाद अपने मवेशियों को छोड़ देते हैं। इस प्रथा को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की योजना बनाने पर भी विचार किया गया।
बता दें कि पहाड़ी गाय को नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज, (NBAGR) करनाल द्वारा स्वदेशी नस्ल के रूप में मान्यता दी जा चुकी है। राज्य में डेयरी किसानों को चारे की व्यवस्था करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हिमाचल में, डेयरी किसान मुख्य रूप से अपने मवेशियों के चारे के लिए घास के मैदानों पर निर्भर हैं।”
उन्होंने कहा, “हिमाचल के निचले इलाकों में सभी घास के मैदानों और चरागाहों को वनभूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है। किसानों के लिए अपने मवेशियों को चराने के लिए इन चरागाहों पर ले जाना असंभव हो गया है।
बैठक में सोसायटी की नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। इसमें डॉ. देवेंद्र सदाना को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा राजेंद्र सिंह राणा वरिष्ठ उपप्रधान, अरुणा शर्मा उपप्रधान, नरेश चौहान सचिव, हेमंत शर्मा सह सचिव, भूपेंद्र सिंह कोषाध्यक्ष, राकेश कुमार मीडिया प्रभारी, राजेश कपूर प्रशिक्षण प्रभारी और संजय सूद को संरक्षक बनाया गया है।