आपकी खबर, कांगड़ा।
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि आयुर्वेद भारत की स्थायी चिकित्सा पद्धति है, जिसे आज दुनिया अपना रही है। राज्यपाल ने यह बात आज जिला कांगड़ा के राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय, पपरोला में विभिन्न संकायों के विभागाध्यक्षों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि आयुर्वेद चिकित्सा को वैकल्पिक चिकित्सा के तौर पर लिया जाता है, जबकि यह स्थायी है और हर घर में मौजूद है। इस मानसिकता को बदलने में यह महाविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को सरकार व्यापक रूप से बढ़ावा दे रही है। कोरोना महामारी के इस दौर में आयुर्वेदिक काढ़ा और क्वाथ को व्यापक स्तर पर मान्यता मिली है।
राज्यपाल आर्लेकर ने महाविद्यालय परिसर में हर्बल गार्डन स्थापित करने के लिये प्रशासन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के हर्बल गार्डन दैनिक जीवन शैली के हिस्से होने चाहिये। इस के माध्यम से हम औषधीय पौधों के प्रति अन्यों को भी प्रेरित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस विषय में उन्होंने राज्य के वन विभाग से बात की है। महाविद्यालय इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी इस कार्य में उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकते हैं।
महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. विजय चौधरी ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा महाविद्यालय के इतिहास, शोध कार्यों, विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 14 विषयों में यहां विशेषज्ञता उपलब्ध करवाई जा रही है और हर वर्ष करीब 56 विद्यार्थी यहां से विशेषज्ञता हासिल करके निकल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां करीब 200 बिस्तरों की सुविधा वाला अस्पताल भी उपलब्ध है और हर साल 50 से 60 परियोजनाओं पर शोध कार्य किया जा रहा है।
कांगड़ा के उपायुक्त निपुण जिंदल ने इस अवसर पर राज्यपाल को स्थानीय स्तर पर गैर सरकारी संगठनों द्वारा तैयार काढ़ा और बांस से तैयार किये गए अन्य उत्पादों की भी जानकारी दी। इससे पूर्व, राज्यपाल ने परिसर के विभिन्न संकायों का दौरा किया। उन्होंने हर्बल गार्डन में रुद्राक्ष का पौधा भी रोपा। कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक खुशाल शर्मा तथा जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। इससे पूर्व आज प्रातः राज्यपाल ने कांगड़ा जिला के बैजनाथ स्थित प्राचीन शिव मंदिर में पूजा अर्चना भी की।