- आईजीएमसी में आयोजित हुई ब्रेन स्टेम डेथ से संबंधित वर्कशॉप
- डॉ सुधीर शर्मा व डॉ रवि डोगरा ने बताई ब्रेन स्टेम डेथ व अंगदान की बारीकियां
आपकी खबर, शिमला। 30 अप्रैल
शिमला के आईजीएमसी में मंगलवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) हिमाचल प्रदेश की ओर से ब्रेन स्टेम डेथ से संबंधित वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आईजीएमसी की प्रिंसिपल डॉक्टर सीता ठाकुर व एमएस डॉ राहुल राव विशेष रूप से उपस्थित रहे। इसमें सुपर स्पेशलिटी अस्पताल चमियाना के न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ सुधीर शर्मा ने मॉनिटरिंग ऑफ ब्रेन स्टेम डेथ एंड डिक्लेरेशन ऑफ ब्रेन स्टेम डेथ के विषय में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने ब्रेन स्टेम डेथ और कार्डियक डेथ में अंतर बताया। उन्होंने ब्रेन स्टेम डेथ संबंधी विभिन्न औपचारिकताओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इसके बाद एनेस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञ डॉ रवि डोगरा ने आईसीयू और एचडीयू(हाई डिपेंडेंसी यूनिट) में ब्रेन स्टेम डेथ मैरिज की केयर के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि जब मरीज ब्रेन स्टेम डेड घोषित कर दिया जाए तब क्रिटिकल केयर स्टाफ की ड्यूटी है कि वह मरीज का विशेष ध्यान रखें। उसे आईसीयू में किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन ना हो। उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड मरीज इसीलिए बहुत विशेष हो जाता है क्योंकि वह अंगदान करने की योग्य होता है। एक ब्रेन डेड मरीज अपने अंगों के माध्यम से आठ लोगों को जीवन दे सकता है। सोटो के नोडल अधिकारी डॉ पुनीत महाजन ने मौजूद सभी स्टाफ से अपील करते हुए कहा कि अस्पताल में दाखिल सम्भावित ब्रेन डेड मरीजों को आईडेंटिफाई करने के लिए अपना सहयोग दें ताकि समय रहते अंगदान व नेत्रदान करने के लिए औपचारिकताएं पूरी की जा सके। उन्होंने कहा कि पीजीआई चंडीगढ़ में अंगदान करने वालों में से अधिकतर लोग हिमाचल के निवासी होते हैं। आईजीएमसी और टांडा अब ऑर्गन रिट्रीवल सेंटर बन गया है इसीलिए अभी यह सुविधा आईजीएमसी में भी दी जा सकती है। कार्यक्रम में सोटो के जॉइंट् डायरेक्टर डॉ शोमिन धीमान, पलमोनरी विभाग अध्यक्ष डॉक्टर मलय सरकार, मेडिसिन आईसीयू के इंचार्ज डॉ सतीश, न्यूरोसर्जरी विभाग अध्यक्ष डॉक्टर ज्ञान डॉ विनीत डॉ दिग्विजय ग्रीफ काउंसलर डॉ सारिका सहित अन्य जूनियर रेजिडेंट मेटर नर्सिंग ऑफिसर वार्ड सिस्टर मौजूद रही।
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2200 मौतें पर नेत्रदान सिर्फ 35 लोगों ने किया
नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर रामलाल ठाकुर ने बताया कि आईजीएमसी में हर साल करीब 1500 से 2000 मौतें होती है। मरने के बाद हर कोई व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है। लेकिन जानकारी न होने के चलते या कभी विभिन्न भ्रांतियां के करण लोग नेत्रदान नहीं कर पाते हैं। उदाहरण के लिए पिछले साल आईजीएमसी में 2200 मौतें हुई वहीं केवल 35 लोगों ने नेत्रदान किया।