Saturday, May 18, 2024

बाल विवाह कानूनन अपराध एवं सामाजिक बुराई : एसडीएम

  • बाल विवाह कानूनन अपराध एवं सामाजिक बुराई : एसडीएम

 

आपकी खबर, करसोग। 4 मई

 

बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के संबंध में उप-मण्डलाधिकारी नागरिक करसोग राज कुमार की अध्यक्षता में बाल विवाह रोकथाम हेतु गठित समिति की बैठक का आयोजन एसडीएम सभागार में किया गया। बैठक में बाल विवाह निषेध अधिनियम के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए एसडीएम ने कहा कि बाल विवाह एक कानूनी अपराध एवं सामाजिक कंलक है। बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत लड़की की विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा लड़के की 21 वर्ष है। यदि कोई इसका उल्लंघन करता है तो लड़का, लड़की के माता-पिता एवं विवाह में शामिल होने वाले सभी लोगों पर इस अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। जिसमें कम से कम दो वर्ष का कारावास एवं एक लाख रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों हो सकते है। एसडीएम ने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु की लड़की तथा 21 वर्ष की आयु से कम लड़के का विवाह गैर-कानूनी है तथा उन्होंने इसकी रोकथाम हेतू प्रचार-प्रसार तथा वांछित कार्यवाही हेतू निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि बाल विवाह की रोकथाम और लोगों को बाल विवाह के प्रति जागरूक करवाने हेतू प्रत्येक नागरिक का सहयोग आवश्यक है। बाल विवाह की ज्यादातर शिकार लड़कियां होती है जिसका कारण दहेज प्रथा, गरीबी,असुरक्षा व अशिक्षा हो सकता है। इसके व्यापक शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक दुष्प्रभाव है।

उन्होंने कहा कि बाल विवाह होने की सूरत में संबंधित अभिभावकों , संलिप्त मैरिज हॉल, पंडित, मौलवी, अभिभावक, रिश्तेदार, पड़ोसी, बैंडवाले, टैंटवाले, डीजे और कैटर्स भी अपराध की श्रेणी में आते हैं तथा उनको भी कड़ी सजा व जुर्माने का प्रावधान है।

एसडीएम ने कहा कि बाल विवाह से संबंधित जानकारी जिलाधिकारी,उपमण्डलाधिकारी, बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीडीपीओ), नजदीकी पुलिस थाना या फिर पुलिस हेल्पलाइन नम्बर 100, चाइल्ड हेल्प लाईन नम्बर 1098 व 1090 पर सूचित कर सकते हैं ताकि तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके।

 

बैठक में बाल विकास परियोजना अधिकारी करसोग विपाशा भाटिया, सहायक लोक सम्पर्क अधिकारी संजय सैनी, पुलिस विभाग के प्रतिनिधि, विवाह कार्य करवाने वाले स्थानीय पण्डित, विवाह समारोह हेतु सुविधाएं उपलब्ध करवाने वाले और  स्थानीय टैंट हाऊस व्यापारी औऱ बाल विकास विभाग के आंगनवाड़ी पर्यवेक्षकों ने भाग लिया।

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