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बागवानों के हितों के प्रति सरकार गंभीर नहीं : बरागटा

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  • बागवानों के हितों के प्रति सरकार गंभीर नहीं : बरागटा
  • सरकार से पूछे ये सवाल, बोले चुनाव के समय क्यों हांकते थे डींगे, धरातल पर कुछ नहीं

आपकी खबर, रोहड़ू।

 

ऊपरी शिमला में 5000 करोड़ की आर्थिकी की रीढ़ मानी जाने वाले सेब सीजन में संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बागवान असमंजस में है कि इस बार क्या किलो के हिसाब से ही सेब की खरीद होगी। अगर ऐसा है तो अभी तक सरकार और बागवानी मंत्री की ओर से कोई एसओपी जारी क्यों नहीं की गई।

 

यह बात भाजपा नेता एवं बागवान चेतन बरागटा ने रोहड़ू में पत्रकारों से बात करते हुए कही। उन्होंने सरकार से यह भी सवाल पूछा है कि अभी तक बारिश और ओलों की वजह से जो नुकसान झेलना पड़ा है उसके प्रति सरकार गंभीर क्यों नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दोराय नहीं है कि इस बार सेब की फसल कम है। बावजूद इसके सरकार की मंशा बागवानों के प्रति क्या है, ये समझ से परे है।

 

उन्होंने चुनाव के समय की याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस नेता एवं स्थानीय विधायक ने बड़ी बड़ी बातें की थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की गारंटी यह भी थी कि बागवान खुद तय करेंगे सेब का मूल्य निर्धारण, कहां गई वो बड़ी बड़ी बातें। साथ ही कहां गए वो बागवान हितैषी नेता।

 

बरागटा ने कहा कि भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री रहे जयराम ठाकुर ने सबसे ज्यादा साढ़े तीन रुपए सेब का समर्थन मूल्य बढ़ाया था। क्योंकि वे बागवानों की चिंता करते थे। उन्होंने कहा कि सेब कार्टन को लेकर भी कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। कुल मिलाकर बागवान असमंजस की स्थिति में है कि इस बार उन्हें भारी आर्थिक बोझ से गुजरना पड़ेगा। उनके साथ शशि बाला, उमेश कुमार आदि मौजूद थे।

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