Search
Close this search box.

अनूठी देव परंपरा : मेले में उल्टा चलता है देव रथ, आनी के कोहिला में निभाई जाती है परंपरा

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
  • अनूठी देव परंपरा : मेले में उल्टा चलता है देव रथ, आनी के कोहिला में निभाई जाती है परंपरा

आपकी खबर, आनी। 9 सितंबर, 2023

 

हिमाचल प्रदेश को यूं ही देव भूमि नहीं कहा जाता । यहां लगभग हर गांव अथवा कुटुंब में देवी देवताओं के मंदिर हैं और अपने ईष्ट देवताओं के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा व अटूट आस्था है। और हो भी क्यों न। क्योंकि यहाँ का ग्रामीण देवी देवताओं की मान्यता पर पूरी तरह से निर्भर है।

देवताओं में सम्मान में ग्रामीण वर्ष भर समय समय पर विभिन्न मेलों का आयोजन करते हैं। जिसमें ग्रामीण अपनी लोक संस्कृति के रंग में रंग कर खूब लुत्फ़ उठाते हैं। वहीं इन मेलों के द्वारा युवा पीढी को अपनी देव व लोक संस्कृति को करीब से जानने का अवसर प्राप्त होता है। हिमाचल का कुल्लू दशहरा, चम्बा का मिंजर मेला और रामपुर का लवी मेला अपनी लोक व देव संस्कृति के लिए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है।

कुल्लू जिला के आनी क्षेत्र में इन दिनों यहाँ के आराध्य गढपति देवता शमशरी महादेव सात साल के लंबे अंतराल के बाद गत 13 अगस्त से अपने अधिकार क्षेत्र के 45 गांव के दौरे पर निकले हैं। शुक्रवार को देवता अपने लाव लश्कर के साथ कोहिला गांव पहुंचे। जहाँ स्थानीय ग्रामीणों ने प्राचीन परंपरा अनुसार उनका भव्य स्वागत किया।

जनश्रुति के अनुसार कोहिला गांव में शमशरी महादेव के रथ पर गडूम्बी नाग बैठता है। यानी उनके रथ पर गडूम्बी नाग का मोहरा लगता है। जिसे शमशरी महादेव का बेटा बताया गया है। देव मान्यता अनुसार इसे ढाई फेर की गद्दी दी गई है और अपना गढ़ यानी क्षेत्र इसने देवता शमशरी महादेव को दिया है।

कोहिला गाँव में शमशरी महादेव की गद्दी पर बैठे गडूम्बी नाग रथ पर विराजमान होकर उल्टे चलते हैं। यहाँ भक्तों के भारी जोश व उल्लास के बीच देवता गडूम्बी नाग पीछे की ओर चलते हुए लोगों को दर्शन देते हैं। इस अनूठी परंपरा के पीछे क्या रहस्य है। इसके बारे में किसी को कोई सही जानकारी नहीं है।

देवता के पुजारी सतपाल शास्त्री ने बताया कि देवता शमशरी देवता अपने प्रवास के दौरान कोहिला से खुन्न गाँव पहुंचेंगे। जहाँ देवता के स्वागत में रविवार को एक भव्य मेले का आयोजन होगा। उन्होंने बताया कि देवता का फेर 23 सितंबर को समाप्त होगा।

Leave a Comment

और पढ़ें